पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१८६

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कर्ण या कधिन [ ३१ कर्ण या कधिन एक हिन्दू रचयिता हैं जिन्होंने राजा अभय सिंह के राजव काल में और उसकी आज्ञा से राठोरों के पद्यात्मक इतिहास ‘सूरज प्रकास’ ( ‘सूर्य प्रकाश' ) - सूर्य वंश का इतिहास -की रचना की । कर्ण कवि, अर्थात् कवि कर्णराजनीति, युद्ध विद्या साहित्य अर में निपुण थे । वास्तव में उन्होंने अपने समय के गृहयुद्धों की समस्त घटनाओं में सम्मान सहित भाग लिया और कई अवसरों पर साहसपूर्वक युद्ध किया है उनकी रचना सात हज़ार पाँच सौ दोहों ( distiques ) में है । उसकी एक प्रति लंदन की रॉयल एशियाटिक सोसायटी में है, जो कनल टॉड की है और जिसकी। उन्होंने १८२० में मूल से प्रतिलिपि कराई थी । यह मारवाड़ के अभय सिंह का इतिहास है, जिससे सामान्य इतिहास की एक झलक मिलती है | पूर्वी परंपरा के अनुसार कवि सुष्टि के प्रारंभ से लेकर सुमित्र तक के रठेरों के इतिहास का उल्लेख करते हुए आदि काल से प्रारंभ करता है । तत्पश्चात् कन्नोज के विजेता काम ध या नयनपाल तक के विवण का अभाव है कवि राठौर शक्ति को जमाने वाले को मारवाड़ में लाने की जल्दी में है, और वह जयचंद की पराजय और मृत्यु को छोड़ देता है । वह उसके बंशजों का देर तक तथा आधिक वर्णन नहीं करता, यद्यपि उसने उन सबका उल्लेख किया है; बरन् वह प्रधान घटनाओं की ओर संकेत करते हुए अभय सिंहजिसकी आज्ञा से उसने यह इतिहास लिखा, के पितामहजसवंत सिंह के शासनकाल तक आ जाता । है । । १ टॉडऐनल्स ऑव राज ताना, जि० २, पृ० ४