पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१९७

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४२ ! हिंदुई साहित्य का इतिहास हिन्दूजजि० २, ४० ४५० में उल्लिखित रचना विज्ञान या विज्ञान गीता,' अर्थात् विज्ञान का गीत, के; ५. ‘एकादशी चा ( का ) चंद्र छत्र १) शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन का , केके ६. चंगदेब कृत ‘गोष्ठीः- समाज-—पर भक्त लीलामृत भक्तों की लीलाओं का अमृत—के; ७, ‘जैमिनी भारत-जैमिनी पर काव्य-के '; ८. ‘सतसई दोहा'—सतसई के दोहरें--के । यह अंतिम रचना संभवतः वही है जो कलकत्ते की एशियाटिक सोसायटी के पुस्त कालय में है, और जिसे सूचीपत्र में 'सतसती' अर्थात् विभिन्न विषयों पर सात सौ दोहरों (दो) का संग्रह, गया है । किन्तु, मेरा विचार , कि रचयिता को भूल से, केशवदास के स्थान पर केशव कहा गया है। केशववास या केशबदास नामक एक सामयिक लेखक है । जो ईसाई हो गया मालूम होता है और जो रामचन्द्र नामक एक और हिन्दू की सहकारिता में १८६७ से हिन्दुस्तानी में सवाइज उक्लब’ ( Mawaz is ucba ) भविष्य के संसार के बारे में विचार शीर्षक एक पाक्षिक पत्र निकालता है । १ विज्ञान गांत । बॉर्ड ने इस प्रन्थ का उल्लेख अपने ‘हिन्दुओं के साहित्य का इतिहास ' (History of the literature of the Hindoos ) में किया है, जि० २, ६० ४८० 1 २ मैं ५स अनुवाद की प्रामाणिकता के संबंध में निश्चित नहीं हैं। ३ प्रेम पर लेख में इसी शांकि की रचना देखिए। के प्रसिद्ध हिन्दू सन्त, व्यास के शिष्य , बी मार्टिन, इनके अन्य का उल्लेख हो चुका है।