पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१९८

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खुभ राणा 5 ४३ केशवदास की ये रचनाएँ और भी अधिक ध्यान देने योग्य हैं, क्योंकि अपने मूलभूत महत्व के अतिरिक्त उनका भाषा विज्ञान की दृष्टि से महत्व इसलिए है कि वे देशी हिन्दी की प्राचीन रचनाओं और मुसलमानों की आधुनिक हिन्दुस्तानी रचनाओं के बीच की. कड़ियाँ हैं ।' खुम्भ राण अर्थात् राज खुम्भ, अपनी पत्नी मीरा बाई’ की भाँति, हिन्दी के पवित्र गीतों के रचयिता हैं। उनकी एक ‘गीत गोविंद' पर टीका’ भी है । ! खसररो दिल्ली के ख्वाजा अबुलहसन व सरो’ अथवा केवल अमीर खुसरोमुसलमान भारत के बहुत बड़े कवियों में से हैं। लोग उन्हें ‘तूती-इ हिन्दई के नाम से पुकारते हैं। उनके तुर्क नाम के ध्वज चंगेज खाँ के समय में साबरा उन्नहर ( Maward unnahr) से भारतवर्ष आए थे । उनके पिता ७ दिल्ली के सुलतान, तुगलक- शाह, के अत्यधिक कृपापात्र थे । वे ( पिता ) काफ़िरों ( हिन्दुओं ) के विरुद्ध युद्ध में मृत्यु को प्राप्त हुए । हंसरों का जन्म १३ वीं . १ च० एक्विल्सन ‘मैकेन्जो कलेक्शनकी भूमिका, पृ० ५२ ( 1in ) २ भ० संभवतः ‘खंभया ‘खंबा ' आदि के लिए । 3 इन पर लेख देखिए । ई टॉड, ‘पेनल्प्स ऑव राजस्थान, जि० १, ३० २८३ ९ खुसरो ( फ़ारसी लिपि में ) ६ हम एक प्रकार से हिन्द की कोय ( rossignol ) कहेंगे । ७ दलितशाह ने उनका नाम अमीर मुहम्मद मेहतर, लाचीन ( Lachin ) के झारा का नेता, बताया है। एक और जीवनो-लेखक ने उन्हें बल्ले के हारा के सैफुद्दीन लाचोन तुर्क के नाम से पुकारा है।