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गोकुल चंद
श्री रघुनाथ के पुत्र, १८६८ में बनारस से छपीं सभी निम्न-लिखित रचनाओं के संकलनकर्ता हैं :
- . ‘जुगल किशोर विलास'–युवा कृष्ण की राधा के साथ क्रीड़ाएं–, कृष्ण और राधा की क्रीड़ाओ का काव्यात्मक वर्णन, ५० अठपेजी पृष्ठ ;
- .'पद्माभरण'–लक्ष्मी का संतोष–,पद्माकर कृत,४४अठपेजी पृष्ठ;
- .' हास्यगर्व नाटक'–हँसी का समुद्र, नाटक–५२अठपेजी पृष्ठ;
- .'भर्तृहरि तीनो शतक'–दोहों मे भर्तृहरि के तीन शतक–, वे 'नीति मंजरी'–नीति का गुच्छा–,'श्रृंगार मंजरी'–प्रेम का गुच्छा–'वैराग्य मंजरी'–तपस्या का गुच्छा–नाम से ज्ञात है,५६अठपेजी पृष्ठ;
- .'उपवन रहस्य'–उपवन मे क्रीड़ाएं– हिंदी कविता,२४अठपेजी पृष्ठ;
- .'षट्ऋतु वर्णन'–छ:ऋतुओ का वर्णन–कवि सेनापति[२]द्वारा १६ अठपेजी पृष्ठ;
- .'रघु-नाथ शतक'–रघुनाथ का शतक–रघु-नाथ द्वारा संग्रहित हिंदी दोहों का संग्रह,३०अठपेजी पृष्ठ।
जिन रचयिताओं के दोहे लिए गए हैं उनके नाम इस प्रकार हैं :