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गोकुल-नाथ जी

महलदर खाँ नज[१] (Mahaldar Khan Naza)की आज्ञा-नुसार महल में नकीब खाँ बिन अब्दुल्लतीफ द्वारा ११६७ हिजरी(१७८२-१७८३) में किया हुआ एक दूसरा (अनुवाद) है,और जो जानना आावश्यक है वह यह है कि नकीब ने अपनी रचना उस शाब्दिक व्याख्या के बाद की जो कई ब्राह्मणों ने संस्कृत पाठ से हिन्दुस्तानी में कर उसे दी।ग्रन्थ के अन्त में यह स्वयं उसी का कथन है।[२] 'कलकत्ते की एशियाटिक सोसायटी के फ़ारसी हस्तलिखित ग्रंथों में हिन्दू बपास (1'Hindou Bapas)कृत 'महाभारत’ का एक तीसरा फ़ारसी अनुवाद है।

गोकुल-नाथ[३] जी(श्री गोसाई)

प्रसिद्ध हिन्दू, बिट्ठलनाथ जी के पुत्र,वल्लभ के पौत्र और गोपीनाथ के पिता,ब्रजभाखा में लिखित,निम्नलिखित रचनाओं के रचयिता हैं:

१. ‘वचनामृत'–उपदेशों का अमृत–'पुष्टि मार्ग'–आनंद का मार्ग–वा वल्लभ के सिद्धांत पर, जिनके सम्बन्ध में महाराजो के संप्रदाय (Sect of Maharajas)का इतिहास', पृ० ८२ तथा बाद के पृष्ठों. में उद्धरण पाए जाते हैं, एक प्रकार की टीका।

२.'रसभावण'—प्रेम की भक्ति–वल्लभ के सिद्धांत से सम्बन्धित रचना और जिसका भी एक उद्धरण–महाराजों के संप्रदाय का इतिहास', पृ० ८२ तथा बाद के पृष्ठों , में पाया जाता है;


  1. स्ट्रेकर(straker)का सूचीपत्र, पृ०४०,नं०२६२
  2. देखिए अनुवाद का'पृ०७५जिसे मेजर डी०प्राइस ने'महाभारत'के अंतिम भाग(कृष्ण का अंतिम दिन)के फ़ारसी रूपांतर से ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की कमिटी ऑव ओरिएंटल ट्रांसलशन्स द्वारा प्रकाशित 'मिसेलेनियस ट्रांसलशन्स(विविध अनुवाद)की पहला जिल्द मे दिया है।
  3. भा०'गोकुल का स्वामी',कृष्ण का एक नाम