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गोपाल चंद्र

'नृसिंह कथामृत'–नृसिंहावतार की सुधा;

‘वामन कथामृत'—वामनावतार की सुधा;

'परशुराम कथामृत'–परशुरामावतार की सुधा ;

'राम कथामृत'–रामावतार की सुधा ;

'बलराम कथामृत' - बलरामावतार की सुधा ;

'बुद्ध कथामृत' –बुद्धावतार की सुधा ;

‘कल्कि कथामृत’ - कल्कि अवतार की सुधा ;

'नरसंघ वध महाकाव्य’ - नरासंघ के वध पर महाकाव्य ;

‘रसरत्नाकर'-रस का समुद्र ;

‘विचित्र विलास’ -भाँति भाँति के सुख;

‘भारती भूषण’--भारती का श्रृंगार;

‘नहुष या नहुख नाटक'– राजा नहुष का नाटक;

‘भाखानीति'—हिन्दुई के बारे में नीति;

'एकादशी कथा;दोहे, चौपाई में'–दोहों और चौपाइयों में पक्ष के ग्यारह दिन की कथा;

‘एकादशी कथा कीर्तन में'–कीर्तन द्वारा ग्यारहवें दिन की कथा;

‘अनेकार्थ'—विभिन्न अर्थ ;

'भाखा व्याकरण'–हिन्दुई का व्याकरण;

'जोगलीला'[१]–योग के काम;

'भगवद गुणानुवाद कीर्तन'-भागवत की प्रशंसा संबंधी कीर्तन;

'होरी के कीर्तन धोमरी' (dhomri)—होरी की प्रशंसा में गाने।[२]


गोपीचंद[३] (राजा)

राग-सागर में प्रकाशित हिन्दी लोकप्रिय गीतों के, और जे०.


  1. एक धार्मिक काव्य है जो१०अठपेजी पृष्ठो मे,संवत् १९१९(१८६३) मे आगरा से प्रकाशित हुआ है।
  2. कवि के पुत्र द्वारा देवनागरी अक्षरों मे प्रकाशित तेईस छन्दों का छोटा-सा काव्य।
  3. भा०'गोपियों का चन्द्रमा',कृष्ण का नाम