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चंद या कवि चंद और चन्दर भट्ट

विआना (Biana) [१]के प्रथम राजा पृथू राजा के शौर्य कृत्य' ( Prithi, or the exploits ef Prithu-raja, the first monarch of Biana) शीर्षक के अंतर्गत उल्लेख है।

यद्यपि यह वही हो, ( किंतु ) जो भाग कलकत्ते की एशियाटिक सोसायटी के पुस्तकालय में पाया जाता है उसका शीर्षक है ‘पृथ्वी- राज रासण पद्मावती खण्ड ।'

सबसे ऊपर और मेरी 'Rundiments hindouis' (रुदीमाँ ऐंदुई) की भूमिका में जो कुछ कहा गया है, उसमें मैं यह जोड़ना चाहता हूँ कि यह काव्य साठ सर्गो में रचा गया है और ‘आईन अकबरी'में उसका प्रशंसा के साथ उल्लेख हुआ है। कर्नल टॉड ने लंदन की रॉयल एशियाटिक सोसायटी के ‘Transactions' ( विवरण ) की पहली जिल्द में सर्वप्रथम कुछ उद्धरण दिए थे और फिर,मेरा विचार है, उन्होंने १८२८ में पेरिस के ‘जूर्ना एसियातीक’ (Journal Asiatique) में एक नोट प्रकाशित किया था । इस काव्य में एक हिंदू राजा का भारत के मुसलमान आक्रमणकारियों के विरुद्ध जबरदस्त संघर्ष का उल्लेख है । उसमें तत्संबंधी और पृथ्वीराज के समकालीन विभिन्न उत्तर भारतीय नितान्त अज्ञात नरेशों के सम्बंध में भी विस्तृत वर्णन दिए गए हैं। संक्षेप में, बारहवीं शताब्दी के भारतवर्ष का वह पूर्ण चित्र है। । दुर्भाग्यवश ये हस्तलिखित पोथियाँ, जो भारत में अत्यन्त दुष्प्राप्य और अत्यन्त कीमती हैं, एक दूसरे से बहुत भिन्न हैं। श्री एफ़० एस० ग्राउज (F. S.Growse ) ने 'जर्नल ऑव दि एशियाटिक सोसायटी ऑव बंगाल', नं० CL, नवम्बर, तथा बाद की, में विस्तार से बनारसवाली हस्तलिखित पोथी की विषय-सूची दी है और प्रथम 'समय' का अनुवाद दिया है।

श्री एस० डब्ल्यू० फालन (Fallon ) की अजमेर में एक दिन एक ऊँट वाले से सहसा भेंट हुई जिसने उन्हें चन्द की कृति से लम्बे-


  1. सूबा आगरा का नगर