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चतुर्भुज अथवा चतुर्भुज दास

का 'कनौब्ज' या ‘कन्नौज खंड' है, जिसका टॉड द्वारा एशियाटिक जर्नल में ‘The Vow of Sungopta' ( संगोप्त की प्रतिज्ञा ) शीर्षक के अंतगर्त आनुवाद हुआ है।

चतुर्भुज[१] अथवा चतुर्भुज दास[२] मिश्र

रचयिता हैं;

१.'मधु मालती कथा'–मधु (माधव ) और मालती की कथा–शीर्षक हिंदुई पद्यों में एक कथा के। इन चरित्रों के प्रेम का एक रोचक हिंदू नाट्य-कृति में उल्लेख हुआ है।मेरे विचार से यह वही रचना है जिसकी विलमेट (Wilmet } [३] पुस्तकालय से आई हुई एक कैथी नागरी में लिखी हुई हस्तलिखित प्रति लीड ( Leyde) के पुस्तकालय में है। ये नायक-नायिकाएँ वही हैं।जिनका मनोहर और मदमलत(AManohar et Madmalat)नामों के अंतर्गत अन्य पद्यात्मक कथाओं में उल्लेख हुआ है जिनमें से प्रसिद्ध दक्खिनी कवि नसरती ( Nusrati ) कृत (रचना)का बहुत आगे उल्लेख हुआ है।

२.कृष्ण-कथा पर आधारित व्यासदेव कृत भागवत के दशम स्कंध के ब्रजभाखा रूपांतर के रचयिता। चतुर्भज मिश्र ने उसे दोहा और चौपाई में लिखा।इस कथा के सार से ही लल्लूलाल


  1. चतुर्भुज, जिसका अर्थ है चार भुजाएंँ ,विष्णु के नामों मे से एक है। 'मिश्र' एक प्रकार की आदरसूचक उपाधि है जो व्यक्तिवाचक संज्ञाओ मे जोडी जाती है। वास्तव मे इस शब्द का अर्थ है। 'हाथां'; यह 'सिंह', अर्थ शेर, के समानान्तर है, जो प्रायः व्यक्तिवाचक संज्ञाओ के बाद ही रखा जाता है।
  2. भा० 'विष्णु का दास'
  3. 'Catal. codicum Or, Biblioth. Ac.reg. sc. leyd',पृ० २८१ ,१८६२