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हिंदई सहित्य का इतिहास

'पद्मावती, जिस्से 'पद्यनि'-आर्दश स्त्री-भी कहते हैं,की कथा पर लिखित एक हिन्दुई काव्य के रचयिता हैं। अनेक मारतीय ग्रंथकारों द्वारा प्रसिद्ध की गई इस कथा का मैं पीछे उल्लेख कर चुका हूँ। इसमें पद्मनी और उनकी सखियाँ जौहर नहीं करती;इसके बहुत विपरीत,उन्होंने मुसलमानी सेना के सेनापति को उल्लू बनाया,जिसके पास पद्मनी ने अपनी सखियों के साथ,सौं पालकियों में,ट्रॉय (Troy) के दूसरे घोड़े में जिसमें अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित तीन हजार राजपूत सैनिक छिपे हुए थे,आने का बहाना किया । शत्रु के शिविर में पहुँचते ही उन्होंने आश्चर्यचकित रह गए बिना बचाव के मुसलमानों पर आक्रमण कर दिया। इसके अतिरिक्त श्री पैवी (Th.Pavie) ने इस काव्य का 'जूर्ना एसियातीक' (Journal Asiatique),१८५६ में अनुवाद दिया है, और अपने अनुवाद के साथ पाठ के बहुत-से अंश,विद्वत्तापूर्ण विचार सहित,दिए हैं।

              जनार्दन भट्ट ( गोस्वामी)

वैद्यक पर पद्य-बद्ध रचना,'वैद्य रत्न'-दवाइयों का रत्न―के रचयिता हैं,आगरे से मुद्रित,१८६४,२२-२२ पंक्तियों के अठपेजी ६२ पृष्ठ,जिसकी एक प्रति मेरे निजी संग्रह में है।

             जााानर्दन राम चन्द्र जी
             
यद्यपि इस लेखक ने मराठी में लिखा है,मैं उसका यहाँ इसलिए उल्लेख कर रहा हूँ,क्योंकि'कवि चरित्र'-कचियों की

१. स्त्रियों, साथ ही पुरुषों, के चार वर्गों में विभाजन के अनुसार, जो इस काव्य में विस्तार रुहित दिया गया है। २.भा०'जो दुष्टों का दलन करते हैं और जिनसे वे मोक्ष प्राप्त करते है' विष्णु का एक नाम|बॉर्ड,'दि माइथोलोजो ऑब दि हिन्दूज',जि.३, पृ० ६।