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जमीर ( पं० नारायण दास ) [७६

जीवनियाँ-शार्षक एक जीवनी-ग्रंथ उनकी देन है, जिसमें हिंदी कवियों से संबंधित अनेक सूचनाएँ हैं।

         ज़मीर (पं० नारायण दास)
         

(ये और पं० धर्म नारायण 'जमीर' एक ही व्यक्ति हैं - बिशन नारायण के पुत्र-फारसी उर्दू के प्रसिद्ध कवि और लेखक):

धर्म ने १८५१ में,उसी प्रेस (इंदौर में ) से प्रकाशित की है: १.'भूगोल दर्पण―शीर्षक के अंतर्गत हिंदी में एक भूगोल'; २.'सभा बिलास'-सभा के आनंद-शीर्षक हिंदी कवियों के चुने हुए अंशों का एक संग्रह ('Selections of hindee poets'),जो संभवतःलाल की इसी शीर्षक की रचना का केवल नया संस्करण है; ३.'बैताल पचीसी' आदि।

                 जय चन्द्र 

जयपुर के जय चन्द्र विक्रम संवत् १८६३ में जैन सिद्धान्तों पर संस्कृत और भाखा में लिखित एक रचना के लेखक हैं। इस रचना का नाम 'स्वामि कार्तिकेयानुप्रेक्षा' है। प्रोफेसर श्री विल्सन के पास हिन्दी पुस्तकों के अपने बहुमूल्य संग्रह में उसकी एक प्रति है।

            जयनारायण घोषाल

कलकत्ते से प्रकाशित, 'काशी खण्ड'--काशी का प्रान्त—के पहले पैंतीस भागों के अनुवादक हैं । 'काशी खंड' 'स्कन्द पुराण' १.एक हिन्दा पुस्तक जिनका यही शीर्षक है कलकत्ते से १८४० में प्रकाशित हुई, १४६ बारहपेजो पृष्ठ, तथा १४५ और १८४६ में भो, अठपेजो। यही रचना उर्दू में 'मिरातुल असालिम' (acalim) शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित हुई है;कलकत्ता,१८३६,१८० बारहपेजो पृष्ठ। २. जब चन्द्र,जय का चन्द्र ३. इस नाम का अर्थ प्रतीत होता है,'घोष में उत्पन्न,विजयके नारायण (विष्णु)'।