पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२३६

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जवाहर लाल ( हकीम) [८१ अक्षरों में, चौपेजी पृष्ठों में,' कलकत्ते में छपी,और लातीनी अक्षरों में,१८०४ में,अठपेजी पृष्ठों में|डॉक्टर गिलक्राइस्ट ने उसका एक नवीन संस्करण,१८२६ में,लंदन से प्रकाशित किया;और फ़ारसी-भारतीय अक्षरों में वह डब्ल्यू० प्राइस कृत'हिन्दी ऐंड हिन्दुस्तानी सेलेक्शन्स' में उद्धृन है,और जो आंशिक रूप में बंबई से बहमन जी दास भाई द्वारा प्रकाशित है।

          x(अन्य सभी रचनाएँ उर्दू से संबंधित हैं )x
          

६.अंत में,'सिंहासन बत्तीसी'का रूपान्तर उन्होंने लल्लू•लाल के सहयोग में किया,और उन्होंने'ख्रिर्द अफरोज तथा सौदा की चुनी हुई कविताओं के संग्रह का संशोधन किया।

(कविता तथा बारहमासा के कुछ अंश का उदाहरण,फ्रेंच में अनूदित)

              जवाहर लाल (हकीम)

(हिन्दुस्तानी पत्र'अखबार उन्नवाह ओ नजहत उलरवाह'के संपादक)...मेरा विश्वास है कि वह अब बन्द हो गया है और उसके स्थान पर जवाहर द्वारा प्रकाशित हिन्दी पत्र 'प्रजाहित' इटावा से निकलता है,जो उर्दू में'मुहब्बत रिआया' शीर्षक के अंतर्गत, जो हिन्दी शीर्षक का अनुवाद है, और अँगरेजी में 'People's Friend' शीर्षक के अंतर्गत निकलता है|इस पत्र की बहुत बड़ी संख्या में प्रतियाँ निकलती हैं और वह 'मसादर उत्तालीम'-ज्ञान का उद्गम-छापेखाने में छपता है। जवाहर सम्पादक हैं : दिल्ली कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा'पिनौक्स(Pinnock's ) १.हिन्दी मैनुअल या कास्केट ऑव इंडिया' में । उसमें उसके केवल तीस पृष्ठ है।