पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२३८

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जाना बेग़म। [८३

                जाना बेगम'
अथवा जाना बाई और वही जो राना वाई,नामदेव की पहले दासी, तत्पश्चात्,मेरा विश्वास है,उनकी स्त्री थीं,और जिन्होंने अपनी काव्य-प्रतिभा से ख्याति प्राप्त की। कविता के कारण वे उन नामदेव की शिष्या और धार्मिक सिद्धान्तों के कारण उनकी अनुगामिनी बनीं।'राग, अर्थात् भारतीय संगीत,पर उनकी एक रचना है जो हिन्दुस्तानी में लिखी हुई है और जिसकी एक प्रति सर डब्ल्यू आउजूले ( Ouseley) के पास अपने संग्रह में है। उन्होंने वैष्णवों में व्यवहृत एक प्रकार के धार्मिक भजन,'अभंग', की भी रचना की है।

ये शायद वही हैं जो गन्ना (Ganna ),अथवा जीना (या जैैना jaina) हैं। हर हालत में,ये तीन स्त्रियाँ एक नहीं,वरन संभवतः दो हैं। जीना और गन्ना में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए;वे एक दूसरे से भिन्न दो व्यक्ति हैं।

           जायसी (मलिक मुहम्मद)

जिन्हें जायसी-दास भी कहा जाता है जो उनके हिन्दू से इस्लाम धर्मानुयायी बनने की ओर संकेत करता प्रतीत होता है । जो कुछ भी हो,लंदन में हिन्दुस्तानी के प्रोफेसर,सैयद अब्दुल्ला,उनके सीधे वंशज हैं । मलिक मुहम्मद जायसी ने (यद्यपि मुसलमान थे) हिंदुई में कबित्त और दोहरों की रचना की है। उन्होंने उत्तर की १.शब्द 'जाना' संस्कृत 'जान' का स्त्रीलिंग है, अर्थ है 'जाना हुआ', और 'बेगमवेग' का फारसी-भारतीय स्त्रीलिंग है,आदरसूचक उपाधि। २. ₹जायसी (फारसी लिपि में ) पैत्रिक नाम (कुलनाम) होना चाहिए। राजकीय पुस्तकालय की हस्तलिखित पोथी के एक नोट में कहा गया है कि लेखक जहें (Jahen) का रहने वाला था; किन्तु क्या यह लखनऊ के समोय का गाँव 'जायस' न होना चाहिए जहाँ कवि मसोह (मार हाशिम अली) रहते थे, साथ ही जो बहुत दूर दिखाई नहीं देता?