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जाहिर सिंह. [८७

पृष्ठ पर इस क्रीड़ा का चित्र बना हुआ है,अठपेजी आकार के १२ पृष्ठों में संवत् १९२१ (१८६५) में मुद्रित हुई है।
               ज़ाहिर सिंह 

'कृष्ण फाग'-कृष्ण का फाग (होली त्योहार के गाने)के रचयिता हैं; लीथो,१२ चौपेजी पृष्ठ।

             जै दत्त (पंडित)

जोशी नाम से विभूषित, संपादक हैं : १. नैनीताल के'समय बिनोद' शीर्षक पाक्षिक हिन्दी पत्र के, जिसका उल्लेख उत्तर-पश्चिम प्रदेश के शिक्षा विभाग के डाइरेक्टर,श्री केम्पसन (Kempson) ने अपनी १६ फरवरी,१८६६ की रिपोर्ट में किया है। २. 'गोपीचंद' के,उज्जैन के इस प्राचीन राजा की कथा जिसने संसार छोड़ कर वैराग्य धारण किया। कुमायूँ,१८६८,७४ बड़े अठपेजी पृष्ठ।

            जैनुल आविदीन 

हिन्दी पद्य में इतिहास,'छत्र मुकट' या 'छत्तर मकट', के रचयिता है । ( 'Bibliotheca Sprergeriana')

                 जै सिंह
                 
टॉड द्वारा 'ऐनल्स ऑच राजस्थान' में उल्लिखित एक प्रकार के ऐतिहासिक पत्र 'कल्पद्रुम" के रचयिता हैं।

१.जाहर सिंह' और प्रस्तुत 'जाहिर सिंह' एक ही व्यक्ति प्रतीत होते हैं। --अनु० २.भा० "विजयी ( जो विजय द्वारा प्रदत्त है) ३. अ.भक्तों का आभूषण' ४.भा० विजय का सिंह' ५.इन शब्दों का वही अर्थ है जो 'कल्पवृक्ष'-उपयोगिता का पेड़-इन्द्र के लोक का वृक्ष जो मनोवांछित फल देता है। यह मुसलमानों के स्वर्ग के 'तूबा' की तरह का वृक्ष है।