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हिंदुई साहित्य का इतिहास

तमन्ना लाल ही की देन हैं : २.और३.'राम सहस्त्र नाम-राम के सहस्र नाम-और'राम गीता सटीक'-राम का गान, टीका सहित;बनारस,१६२५ संवत(१८६६), २६ अठपेजी पन्ने।

           तमीज़'(मुंशी.काली राय)

फतहगढ़ के डिप्टी कलक्टर ,रचतिता हैं: १.(उर्दू रचना)'फतहगढ़-नामा' ... २.'खेत कर्म' या बिगड़े हुए रूप में'करम'3-खेत के काम के. उत्तर-पश्चिम प्रदेश के निवासियों की कृषि पर पुस्तक,उत्तर-पश्चिम प्रदेश के लेफ्टिनेंट गवर्नर की आज्ञा से,दिल्ली से,१८४१ में और आगरे से १८४६ में मुद्रित।उसका द्वितीय संस्करण दिल्ली से,१८४६,५४ अठपेजी पृष्ठों का,हुआ है। इस पुस्तक का भूमि के विभिन्न प्रकारो,काम करने के साधनों,खेत सींचने की विधियाँ आदि से संबंध है। किन्तु उनका प्रधान उद्देश्य किसानों को खजाने का लगान निकालने की विधि, और अपने अधिकारों की रक्षा करने के तरीके बताना है। पुस्तक में चित्र भी हैं,और पारिभाषिक शब्द फारसी और नागरी दोनों अक्षरों में दिए गए हैं। उर्दू संस्करणों, जिनका संकेत किया गया है,के अतिरिक्त उसके कई हिन्दी में संस्करण भी हैं जिनका उल्लेख पहली जून,१८५५ के 'आगरा गवर्नमेंट गजट' में किया गया है। ३. (उर्दू रचना) 'मुफ़िद-इ आम'...

१.अ.'सुक्ष्मदर्शिता' २.एशियाटिक सोसायटी ऑब बंगाल के जर्नल, वर्ष १८५०, पृ. ४६५, और'बंबई प्रांच रॉयल एशियाटिक सोसायटी' के जर्नल, १८५१, पृ० ३३०, में उनका नाम, गलती से' 'हलय' Halay लिखा गया है। ३.पहली जून,१८५५ के 'आगरा गवर्नमेंट गजट' में इस रचना का अँगरेजी शीर्षक।'Hints om Agriculture' दिया गया है।