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तानसेन. [६१। ४.और कुरुक्षेत्र दर्पण—कुरुक्षेत्र का दर्पण के,महाभारत' का प्रसिद्ध युद्ध-क्षेत्र,लीथो में इस तीर्थ-स्थान और वहाँ पर व्यवस रस्मों के विवरण सहित। ५.(हिन्दुस्तानी कविताएँ ).....

            तानसेन ( मियाँ )

पटना के निवासी, एक अत्यन्त प्रसिद्ध गबैए हुए हैं,जो प्रसिद्ध वैष्णव संत,चैतन्य के शिष्य, तथा वृन्दावन में आकर रहने वाले और हरि का स्तुति-गान करने वाले गोसांई हरि-दास के शिष्य थे।हरिदास की ख्याति अकबर के कानों तक पहुँची,जो स्वयं उन्हें अपने दरबार में आने का निमंत्रण देने के लिए गया , जिसे उन्होंने अस्वीकार किया; किन्तु उन्होंने अपने शिष्थ,सियाँ तान -सेन को,जो उस समय अठारह वर्ष के युवक थे,सुलतान के साथ जाने की आज्ञा दे दी। दिल्ली में,तानसेन मुसलमान हो गए और मृत्यु होने पर चे ग्वालियर में दफनाए गए २। तानसेन को दूसरों के पद गाने से ही संतोष नहीं था,वरन् उन्होंने स्वयं भी बनाए।डब्ल्यू प्राइस द्वारा अपने ‘हिदी ऐंड हिन्दुस्तानी सेल्वेक्शन'में प्रदत्त हिन्दुओं के लोक-गानों के संग्रह,अन्य के अतिरिक्त, उनका एक ‛धुरपद’मिलता है।जब कि समस्त संसार उत्सुकतापूर्वक और सर्वोच्च आदर के साथ उनका स्वागत करता था,अपनी प्रेयसी से भत्र्सना पाने का उन्होंने उसमें उलाहना दिया है । ऐसा प्रतीत होता है कि उनके गीतों का संग्रह ‘राग माला'रागों की माला-शीर्षक (जो अन्य संग्रहों का भी रहता है)के अंतर्गत किया गया है।‘संगीत राग कल्प द्रुम’ में वे मिलते हैं।

१.भा० ‘तान' का अर्थ है ‘गाने के स्वर’और सेन-चिकित्सकों की उप-जाति की उपाधि है। २.भोलानाथ चंद : ट्रैवल्स ऑव ए हिंदूजि० २, ६७ तथा बाद के पृष्ठ