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हिंदुई साहित्य का इतिहास

अब भवन सुख देन बहुरि वपु[१] धरि लीला बिस्तारी।
राम चरण रस मत रहत अहर्निशि ब्रत धारी ।
संसार अपार के पार को सुगम रूप नौका लयो ।
कलि कुटिल जीव निस्तार हिंत बालमीकि तुलसी भयो ।

टीका

तुलसी का जब विवाह हुआ, तो वे स्री को अपने घर ले आए। उसके प्रति प्रेम में वे इतने डूब गए थे,कि यद्यपि उनकी सास के यहाँ से कई बार लोग उसे लेने आए,किन्तु उन्होंने उसे न जाने दिया। एक दिन उनकी अनुपस्थिति में उनका साला-उसे लेने आया किन्तु इसी बीच में वे लौटे,और स्त्री का क्या हुआ,उसे कौन ले गया, बातें पूछने लगे।किसी ने कहा कि वह अपने मैके चली गई। यह समाचार सुनते ही वे दौड़े और अपने ससुर के घर पहुँचे जब कि उनकी स्त्री बहुत मुश्किल से पहुंच पाई थी और अभी किसी से बात तक न कर पाई थी जब उनकी स्त्री ने उन्हें देखा तो भूभला कर उनसे कहा:'मैं राम चन्द्र से उतना ही प्रेम करती हूँ जितना अपने इस शरीर से क्या आप श्यामसुन्दर राम की भांति सुन्दर हैं?उनका सारा सौन्दर्य तो मनुष्यों में पाया नहीं जाता।' तुलसी ने जब यह वचन सुना,तो वे अपने घर वापिस न आए किन्तु काशी में निवास करने चले गए और प्रकाश रूप से प्रभु की सेवा में लग गए। एक बार कुछ चोर रात को उनके यहाँ चोरी करने आए।उन्होंने तुलसी के घर में पाँच-सात बार घुसने की कोशिश की,किन्तु धनुष-बाण धारण किए हुए राम ने उन्हें भगा दिया) सुबह होने पर वे घर में घुसे और लूट लिया;किन्तु सिपाहियों ने उन्हें घेर लिया। तब तुलसी यह स्पष्टतः समझ गए कि राम ने उनकी रक्षा की है,

मेरे विचार से, 'रामायण' के विविध आधुनिक रूपांतरों के रचयिताओं की ओर संकेत है।


  1. मेरे विचार से, 'रामायण' के विविध आधुनिक रूपांतरों के रचयिताओं की ओर संकेत है।