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हिंदुई साहित्य का इतिहास

६. 'राम जन्म', उनके अनुसार, भोजपुर की बोली में लिखी गई;[१]

७. राम शलाका,कनौज प्रान्त की बोली में[२] लिखित;

८. 'जानकी मंगल―(राम के साथ) सीता का विवाह, लाहौर, बनारस, मेरठ, आगरा से मुद्रित, १६ अठवेजी पृष्ठ, और १८८ में बनारस से फिर से प्रस्तुत की गई;[३]

९. अंत में 'पंचरत्न―पाँच बहुमूल्य रत्न―शीर्षक पाँच छोटी कविताएँ १८६४ में बनारस से मुद्रित, २१-२१ पंक्तियों के १०० अठपेजी पृष्ठ;

१०.तुलसी की उन रचनाओं के अतिरिक्त जिनका उल्लेख ऊपर किया गया है,'रुक्मिणी स्वयंबर टीका'स्वयंवर के रूप में रुक्मिणी के विवाह का उपहार―उनकी देन है, रचना जिसकी एक प्रति कलकत्ते की एशियाटिक सोसायटी में है।

तुलसीदास की सभी कृतियों को भारत में अत्यधिक ख्याति प्राप्त है:विद्वान और सच्ची ख्यातिप्राप्त एच एच॰ विल्सन का भी निस्संकोच कहना है[४] "कि वे सस्कृत रचनाओं की अनेक पोथीयो से अधिक हिन्दू जन-समाज को प्रभावित करती हैं।' -

मैं नहीं जानता यदि कथा बरमाल',या स्पष्ट कथा,तुलसी-दास


  1. यह ग्रंथ वास्तव में वामन का लिखा हुआ है जिनके संबंध में जैसा आगे कहा जायगा।
  2. हिन्दुओं का इतिहास आदि, जि० २ पृ० ४८०।आगरे के जनरल कैटैलोग ऑब ऑरिएंटल वर्कर्स’ में,कलकत्ते से मुद्रित तुलसीकृत‘राम सगनावलो’शकुन विचार की पुस्तक का भी उल्लेख है।
  3. इस संबंध में १६८ के शुरू का मेरा दिस्तूर' (Discours) देखिएपृ’६३ से ६५ ।
  4. 'एशियाटिक रिसर्च', जि॰ १६, ७० ४९ ( द्वितीय संस्करण में ४८०--अनु॰)