पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२६२

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दशा भाई बहसन जी [ १०७ सौ पैंतीस हस्तलिखित प्रन्थों में संग्रहीत हैं, और जिनका संबंध देश के लोगों की रुचि के अनुकूल सभी विषयों से है । वस्तुतः इन कविताओं में धार्मिक, शोक-पू, श्रृंगारपूर्ण गीत हैं, कुछ में भारतीय नगरों और व्यक्तियों की उल्लेख है, तो अन्य में हिन्दू सम्राटों और पौराणिक भक्तों की परंपरागत कथाएँ हैं । कहा जाता है कि धार्मिक भजनों में भावों की उच्चता, भाषा की सरसता और काव्य रूपों की प्रचुरता है । दश भाई बहमन जी' (Dosabhai Boanjee ) बम्बई के, ने गिलक्राइस्ट कृत ‘Hidee Roman orthoe pigraphical ultimatun२ शीर्षक रचना में लातीनी अक्षरों में दिए गए संस्करण के आधार पर काजिम अली जवाँ कृत शकुन्तला नाटक’ का फ़ारसी अक्षरों में एक संस्करण १८४८ में प्रकाशित किया है । दादू दादूपंथी संप्रदाय के, जो रामानंदियों की एक शाखा है, और फलत: वैष्णव मतों में सम्मिलित है, संस्थापक दादू कबीरपंथी प्रचारकों में से एक गुरु के शिष्य थे और रामानंद या छबीर की शिष्य -परंपरा में पाँचवें थे, जिनके नाम हैं : कमाल, जमालबिमल बुद्धन और दादू । दादू धुनियाँ जाति के थे । उनका जन्म अहमदाबाद में हुआ १ भा, 'दशा’ का अर्थ है ‘शलत, अवस्था’, ‘भाई-भाई, ‘बहमन' ( विरहमन के लिए ब्राह्मणऔर ‘जो’ एक आदरसूचक उपाधि है । २ जर्नल आव दि बॉम्बे पांच रॉयल एशियाटिक सोसायटी’, जनवरी१८६१। मेरे पास इस रचना की अनेजा सौ पृष्ठों की एक प्रति है। 3 ‘दविस्तान' के रचयिता ने उनका नाम दादू दरवेश लिखा है । ए० ट्रायर (A. Troyer) बुत अनुवाद की जि० २, पृ० २३३ देखिए।