पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२६४

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दादू [ १० विल्सन के संबंधी लेफ्टिनेंट जी० आर० सिडन्स’ ने इस साधु ग्रंथकार की ‘दादूपंथी ग्रंथ अर्थात् दादू के शिष्यों की पुस्तक, शीर्षक पुस्तक का अनुवादकार्य हाथ में लिया था ! प्रोफेसर विल्सन भी अपने को उसी कार्य में लगाना चाहते थे। श्री सिडन्स ने कलकत्ते की एशियाटिक सोसायटी के मुखपत्र के जून, १८३५ के अंक में इस महत्वपूर्ण रचना का जो श्री जे० प्रिन्सेप के अनुसार, केन्द्रीय भारत की ख़बोली शुद्ध हिन्दुस्तानी ) का एक सुन्दर उद्घाहरण प्रस्तुत करती है, पाठ और ( धार्मिक ) विश्वाससंबंधों अध्याय का अनुवाद दिया है । उसके कुछ उद्धरण देखिए : ‘ईश्वर में विश्वास तुम्हारे सत्र विचारोंसब शब्दों, सन कर्मी में व्याप्त हो । जो ईश्वर की सेवा करते हैं वे किसी औौर में भरोसा नहीं रखते । यदि तुम्हारे हृदय में ईश्वर की स्मृति हो तो तुम उन कार्यों को पूर्ण करने योग्य हो सकोगे जो उसके बिना संभव नहीं हैं, किन्तु उनके लिए जो ईश्वर तक ले जाने वाले मार्ग की खोज करते हैं वे अत्यन्त सरल हैं। । हे मूर्ख ! ईश्वर तुमसे दूर नहीं है, वह तुम्हारे समीप है । तुम अशानी हो, किन्तु वह सर्वज्ञ है, और वह अपने दान अपनी इच्छा- नुसार बाँटता है. ....... वही खाना और कपड़ा धारण करो जो ईश्वर तुम्हें अपनी खुशी से देता है । तुम्हें और कुछ नहीं चाहिए । ईश्वर के दिए रोटी के टुकड़े पर खुश रहो..... तुम अपने शरीर की रचना देखो, जो मिट्टी के बर्तन की तरह है, और जो कुछ ईश्वर से सम्बन्धित नहीं है उस सब को अलग रख दो। जो कुछ ईश्वर की इच्छा है वह सब अवश्य होगा, इसलिए चिन्ता में अपना जीवन नट मत करोकिंतु ध्यान करो। • यह नवयुवक भारतीयविधा-विशारद हिन्दुई भाषा में विशेष रूप से व्यस्त रहा।