पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२६५

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११० ? हिंदुई साहित्य का इतिहास जो ईश्वर से विमुख हैं उनके लिए क्या आशा हो सकती है वे चाहे सारी का चक्कर लगा लें हे मूर्ख ! साधु पुरुषजिन्होंने पृथ्वी इस विषय पर विचार किया है, तुम्हें ईश्वर के अतिरिक्त और सव कुछ छोड़ देने के लिए करते हैं, क्योंकि सब दुःख है । . सत्य में विश्वास रखो, अपना हृदय ईश्वर में लगाओ, और न बनो, जैसे तुम मृत हो...... जो ईश्वर से प्रेम करते हैं, उनके लिए सत्र बातें अत्यन्त सरल हैं । वे कभी दुःख न पालेंगे, चाहे वे विघ से क्यों न भर दिए जाएँ; ठीक इसके विपरीत, वे उसे अमृत के समान ग्रहण करेंगे । यदि कोई ईश्वर के लिए दुःख उठाना है, तो अच्छा है, अन्यथा शरीर को कष्ट देना बथन है । जिस जीव को उसमें विश्वास नहीं है वह दुर्बल और डाँवाडोल हैं, क्योंकि कोई निश्चित आाधार न होने से, बह एक वस्तु से दूसरी वस्तु पर चलायमान होता है। ..... रचयिता ने जो कुछ बनाया है उसकी निंदा मत करोउसके साधु भक्त उ9 से संतुष्ट रहते हैं. .... टाबू कहते हैं : ईश्वर मेरा धन है, वह मेरा भोजन औौर मेय आाधार है , क्योंकि उसकी आध्यात्मिक सत्ता से से अंग अंग श्रोत प्रोत है..वह मेरी शासक , मेरा शरीर और मेरी आत्मा है। ईश्वर अपने जीवों की उसी प्रकार रक्षा करता है जित प्रकार एक मा अपने बच्चे को ...हे परमात्मा ! तू सत्य है; मुझे संतोष, भक्ति और प्रम, विश्वास दो । तुम्हारा दास दादू मा वैषु मांगता है, और अपने कों तुम्हें समर्पित करना चाहता है ? दान सिंह ज. एक हिन्दुई कवि हैं जिनका कर्नल श्राइटन ( Broughton ) ' 3 भा० रन’ २ ‘, ‘जा' की माँते आदरसूचक उपाधि हैं, हिज्जे दूसरे हैं। .