पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२६६

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दामा जी पत [ १११ ने अपने ‘Popular Poetry of the Hindoos' में रसादिक उद्धृत किया है । दामा ' जी पन्त कवि चरित्र' में उल्लिखित एक हिंदुई लेखक हैं। उनका जन्म १६०० शालिवाहन ( १६७८ ) में, सहाराज शिबाजी के समय में, डंडरपूर ( Dandarpur ) में हुआ था । दामाजी कई प्रन्थों के रचयिता हैं जिनके शीर्षक नहीं दिए गए । दूल्हा-राम ' वे १७७६ में रामसनेही हुए और १८२३४ में मृत्यु को प्राप्त हुए। वे अपने संप्रदाय के तीसरे गुरु थे । उनके दस हजार शब्द’ और लगभग चार हजार साबियाँ उपलब्ध हैं, अर्थात् अपने गुणों द्वारा न केवल अपने निजी संप्रदाय में, वरन् हिन्दुओंमुसलमानों और सरों में प्रसिद्ध व्यक्तियों की प्रशंसा में कविताएँ : प्रत्यक्षतः यह मजमुआा-इ-आशिकींकी तरह की, जिस रचना का उल्लेख ‘अधमनेसंबंधी लेख में हो चुका है, एक रचना है इस प्रकार की पुस्तकें पूर्णतः मुसलमान सूफियों की, जो ईसा मसीह और मुहम्मद बुद्ध जरथ8कृष्ण और अलीपवित्र कुमारी मेरी और और "फ़ातिमा आदिको एक ही श्रेणी में रखती है, उदार प्रणाली के अंतर्गत आती हैं। कुछ वर्ष हुए यूरोप ने इस प्रवृत्ति का एक बच्चा अध्यात्मवादी हिन्दू, महाराज राम मोहन रायदेखा था, जो १ भा० 'रस्वतडोर ’ २ पन्त' या पथ, जिसका अर्थ है ‘रास्ता, जिससे एक आध्यात्मिक पन्थ, एक धार्मिक-संप्रदाय का भी द्योतन होता है, व्यक् िवाचक नामों के बाद यह शब्द, इस प्रकार के किसी संप्रदाय से संबंधितअर्थ प्रकट करता प्रतीत होता है। वे दूल्हा-राम-राम जो दूल्ह है। के शब्दजानक-पन्थों आदि का एक प्रकार का गीत