पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२६८

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देबीदीन [ ११३ दीदीन हिन्दी में ‘भूगोल जिला इटावा ' के रचयिता हैं: इटावा, १८६८, बड़े अठपेजी २८ पृष्ठ । ( कब ) देव लोकप्रिय हिन्दी गीतों के रचयिता हैं जिनके उदाहरण श्राटन कृत ‘पौप्यूलर पोयट्री ऑव दि हिन्दू' ( हिन्दुओं की लोकप्रिय कविता ) और मेरे ‘शाँ पौष्यूरोअर द लिंद’ (भारत के लोकप्रिय गीत ) में पाए जाते हैं । देवदत्त ( राजा ) रचयिता है। : १, ‘नखशिख’ के ; २: ‘अष्टया५ के, वॉर्ड द्वारा हिन्दुओं के इतिहाससाहित्य और पौराणिक कथाओं संबंधी अपने प्रन्थ, जि० २, २० ४८०, में उल्लिखित हिन्दी रचनाएँ । दूसरी बनारस के बाबू हरि चन्द्र के 'कवि बचम सुधामें प्रकाशित हो चुकी है । देख-राज वॉर्ड द्वारा हिन्दुओं के इतिहास, साहित्य और पौराणिक-कथाओं संबंधो अपने विद्वतापूर्ण ग्रंथजि० २, ४० ४८० में उद्धृत नख १ 'देवो ( दुर्गा ) के प्रति दीन’ २ ‘कब, ‘कवि' या 'कविके लिए है; देव-देवताआदरमूचक उपाधि के रूप में प्रयुक्त । 3 भा० ‘देवता द्वारा दिया गया

  • भा० सिर के ऊपर बालों का जुड़ा और पैरों के अँगूठे का नाखून' (सिर और पैर)

५ या ‘अष्ट जाम, अर्थात् एक दिन के अठ पहर या विभाग

  • इन्द्र का नाम जिसका अर्थ है देवताओं का राजा

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