पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२७१

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११६ 7 हिंदुई साहित्य का इतिहास गोविन्द’ के अनुकरण परहिन्ई कविता 'पंचाध्यायी,ो पाँच अध्याय, के संस्कृत काव्य का परिचय जोन्स के अनुवाद से प्राप्त होता है जो ‘पशियाटिक रिसचेंज, जिं ३ तथा उनकी रचनाओं में प्रकाशित हुआ है। पंचाध्यायी’ मदन पाल द्वारा संपादित और कलकत्ते में बाबू राम के छापेस्त्राने में छपी है मैं उसमें ५४ अठपेजी पृष्ठ हैं; २ समानार्थवाची शब्दों का पव में कोप ‘नाम मंजरी'-नामों का गुच्छा या 'नामसाला’ - नामों को मालाके ; ३. अनेक अर्थ वाले शब्दों का पद्य में ही कोष ‘अनेकार्ड मंजरीअनेक अर्थों का गुच्छा- के ये दो छोटीछोटी रचनाएँ एक साथ खिदरपुर से १८१४ में, मठपेजी रूप में, छपी हैं। 'पहली में ३४ पृष्ठ, और दूसरी में ५२ पृष्ठ हैं. । ऐसा प्रतीत होता है कि लोग उन्हें सामान्यतएक साथ रखते हैंऔर अंत में प्राय’ ‘सतसईऔर ‘रसरा’ भी पाई जाती हैं । हीरा चंद ने .उन्हें अपने ब्रजसास्वा काव्य संग्रह 'हिन्दी कविताओं का संग्रह के प्रथम भाग में प्रकाशित किया है; बंबई, १८६५, अठपेजी । करीम उद्दीन ने हमें नंददास की निम्नलिखित रचनाएँ और "बंताई हैं, जो उपर्युक्त रचनाओं सहितडाँ ० स्वंगर (Sprenger) के पास सुरक्षित उनकी रचनाओं के ५७६ पृष्ठों के संग्रह काम भाग हैं।" ४, रुक्मिणी मंगल-रुक्मिणी का विवाह, संभवतयही 1..? शेक्समियर ( हिन्द० लिंक्०.) के अनुसार, 'पंचाध्यायी' में कृष्ण और गोपियों की क्रांक्षाओं से संबंधित भागवत पुराण' के पाँच अध्याय है या करीम के अनुसार ‘श्री राम माला’--हरि के नामों का गुच्छा। २ इसका शोषक है कृत श्री स्वामो -दास ज्यू का', और एक जिद में है ।

"Biblioth. Sprengeriana"