पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२७२

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नन्ददास ज्यू [ ११७ रचना पर्वत पाल' शीर्षक के अंतर्गत बताई गई है। भारतीय संगीत पर एक और रचना है जिसका शीर्षक भी यही है । ५. ‘भंवर गीत’-भरे का गीत, हिन्दी काव्य, दिल्ली, १८५३, और आगरा१८६४ ; ६. ‘सुदामा चरित्र सुदामा की कथा ; ७, ‘बिरह संजरी-प्रेम ( दुःखद ) का गुच्छा ; ८, ‘प्रबोध चन्द्रोदय नाटक'बुद्धि के चन्द्रा के उदय का नाटक, रूपकात्मक नाटक, कृष्ण केशव मिश्र की संस्कृत रचना का अनुवाद ।में इस प्रसिद्ध नाटक में आध्यात्मिक जीवन के कर्मी के रूप में, क्रोध और बुद्धि में, अन्य बातों के अतिरिक्त, बौद्ध मत तथा वेदान्त मत में संघर्ष और दूसरे सिद्धान्त की विजय दिखाई गई है २ । इस प्रन्थ को नस्तालीक अक्षरों में लिखी हुई एक प्रति केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के किंग कॉलेज के पुस्तकालय में है (तें ०५४)। बह १८६४ में आगरे से छपा है, ३२ ०। 4. गोवर्द्धन लीला' गोवर्द्धन की क्रीड़ाएँ ; १०. ‘दशम स्कन्वऽभागवत पुराण' का दशम स्कंध ; ११, रास मंजरीs( कृष्ण का रोपियों के सार्थ) रास को गुच्छा ; १२, ‘रस मंजरी-रस का गुच्छा ; १३. ‘रूप मंजरी-रूप का गुच्छा ; १४. मन मंजरीमन का गुच्छा। । १ कैप्टन टेलर ( Taylor ) ने मूल संस्कृत का “The Moon of inte 1lect शीघ्रक के अंतर्गत अँगरेजी में अनुवाद किया है । २ इस रचन के संबंध में विस्तार देखिए8 लोग ‘इंस्क्रिप्टिव कैलौग’, पृ ३७ ३ स्वर्गीय कर्नल टॉड के संग्रह में ‘रस मंजरी को बताना बात' ( dvatany bat)–रस मंजरी' शीर्षक रचना का द्वितीय भाग—शीर्षक हस्तलिखित ग्रन्थ पाया जाता है ।