पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२७३

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११८ ! हिंदुई साहित्य का इतिहास । नबी मीरअब्दुल जलील बाममी ( बिलम्रासी ) के भानजे मीर गुलाम नबी" बलाप्रमी, अर्थात् बेलग्राम के, ने हिन्दी भाषा में दो हजार चार सौ दोहरे लिखे हैं जो कहा जाता है, प्रसिद्ध बिहारी, के दोहरों का मुकाबला करते हैं। वे विविध विद्याओं और संगीत कला में भी अत्यन्त निपुण थे । नबीन या नवीन चंद’ राय ( बाबू ) रचयिता हैं : १. ‘संस्कृत व्याकरणके, हिन्दी में लिखित और १८६६ में लाहौर से मुद्रित, १४८ छोटे फ़ोलिओ पृष्ठ; २. एक हिन्दी में लिखित तथा नवीन चन्द्रोदय-नए चन्द्रमा का प्रकटीकरण-शीर्षक एक व्याकरण केके लाहौर, १८६६, ११४ अठखेजी पृष्ठ ; ३ ‘लदमी सरस्वती सम्बाद'—लचमी और सरस्वती के बीच बातचीत के, हिन्दी में; बियों के लिए कथाएँ और नीरथुपदेश; लाहौर, १८६६, २० अठखेजी पृष्ठ; . लाहौर से पं० मुकुन्द राम द्वारा प्रकाशितहिन्दी और उर्दू में ‘ज्ञान दायिनी'-ज्ञान देने वाली शीर्षक एक पाक्षिक और दार्शनिक संग्रह के ; आठवेजी, १६ प्ठों की प्रतियों में लीथो किया गया । इस संग्रह कुछ परिवर्तन हुआ कहा जाता है, क्योंकि १८६८ १ पैगम्बर, ‘गुलाम नबो' के लिए ‘पैगम्बर का दास' ३ थोहरापुरानी हिन्दुस्तान्से में बैत’ प्रथ का समानार्थवाची 3 हिन्दो कवि जिसका इस ग्रंथ में उल्लेख हुआ है। ४ भा० ‘नवा कन्द्रमा