पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२७५

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१२० ] हिंदुई साहित्य का इतिहास ब्रज-भाख रूपान्तर प्रस्तुत किया के साथ ही लल्लूजी कृत इस रचना के संस्करण में यह स्पष्टतः कहा गया है कि नरायन ने उसका संस्कृत से अनुवाद किया था। क्या ये फोर्ट विलियम के पुस्तकाध्यक्ष, लक्ष्मी नारायण लेखक ही तो नहीं हैं, जिन्होंने इसी रचना का बँगला में अनुवाद किया था ११ १८६८ में फतहगढ़ से, १६ पृष्ठों में, प्रकाशित श्याम सगाई' तो हर हालत में उनकी रचना है; और इससे पहले गरेजी में Sports of Krishna’ शीर्षक सहित, १८ ४० में, आगरे से, १८६२ और १८६४ में। ' नरोत्तम कृष्ण के एक सस्तासुदामा, की कथा, सुदामा चरित्र' के रचयिता हैं; फतहगढ़१८६७४ अठपेजी पृष्ठ । नवल दास पन प्रमोदहदय या आत्म का आनन्द के रचयिता हैं, जो ईश्वरवाद पर एक रचना है, फतहपुर से १८६८ में प्रकाशित, १-५जी आ8 पृष्ठ ! नवाज़ नवाज़ ऋषिश्वर *, मुंसलमान कवि जो संस्कृत नाटक 'शकुछ . १ जेजे० लगकैलौंग, ० १२ ३ भा० 'उत्तम मनु थ’ 3 म० ‘कृष्ण का दास’ ४ कविश्धर इस शब्द का अर्थ है कवियों का सिरताज । यह मुसलमानों के ‘मलिक उशुअरा' शब्द का समानार्थवाचो है । यह हिन्दी के अनेक लेखकों के प्रधान

नाम के साथ लगाया जाता हैं, जिनमें से सुन्दर और सुरत अनुवादकों के साथ,

पहले सिंहासन बत्तोली' के, दूसरे बैंताल पचौसी' के। है।