पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२७६

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नसीम

न्तला’ के नजभावा पत्र में अनुवाद के रचयिता हैं। यह अनुवाद उन्होंने फ़िदाई 1खा के पुत्र मल स्वाँ जिन्होंने अपने समय के मुगल सम्राट् फ़ स्वसियर से आजम खाँ नाम पाया था, के कहने से किया था 1 काजिम अली जवाँ कृत शकुन्तला’ में नवाज़ के विषय में यह उल्लेख हुया है कि उन्होंने ११२८ ( १७१६ ) में शकुन्तला नाटक। का, खण्डकाव्य के रूप में संस्कृत से हिन्दी (ब्रजभाखा ) में अनुवाद किया । स्वर्गीय जन रोमर ने इस आनुवाद की देवनागरी अक्षरों में लिखित एक सुन्दर इस्तलिखित प्रति मुझे भेंट की थी जो उनके पास थी, किन्तु जो १८६४ में लाल द्वारा बनारस से प्रकाशित हो चुकी है, ११४ अठखेजी पृष्ठ। इसी पाठ के आधार पर गिलाइस्ट ने काजिम अली जवा” से उर्दू रूपान्तर तैयार कराया था । नसीम ( पं. दयासिंह या दया शंकर या संकर ) मूलत: काश्मीरीकिन्तु जिनका जन्म लखनऊ में हुआ और जो उसके ( अँगरेजी राज्य में १ अनु० ) मिलाए जाने से पूर्व वहीं रहते थे, हिन्दुस्तानी के अत्यन्त प्रसिद्ध लेखक हैं ! वे गंगा प्रसाद के पुत्र और ख्वाजा हैदर अली आतिश के शिष्य हैं । वे आगरा कॉलेज में हिन्दी के प्रोफ़ेसर रह चुके हैं । रेखता या उर्दू में उनकी कविताएँ हैं जिनके कुछ अंश मुहसिन ने अपने अंतष्किरों में उद्धृत किए हैं, और जो निम्नलिखित रचनाओं के रचयिता हैं : १. दयाभाग' दया का भागने—के, जिसका अँगरेज़ी में G इन पर लेख देखिए । २ यह निस्संदेह बद्दो रचना है जो ‘दया भाग श्री दत्तक का चन्द्रिका' हिन्दुओं में सम्पत्ति विभाजन के वर्णन का चन्द्रमा है, १६० ०६ कलकत्ता १८६५ ( जे० लौंगडेस्क्रिप्टिव बैौलौंग, १८६७४० २१)