पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२७७

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१२२ 1 हिंदुई साहित्य का इतिहास शीर्षक है Law of inheritance, translated from the Sanskrit into hindui of the Mitakshara' ( मितदरा का उत्तराधिकार नियमसंस्कृत से हिंदुई में अनूदित )। यह अनुवाद कमिटी ऑव पब्लिक इन्सट्रक्शन ( सार्वजनिक शिक्षा समिति ) के व्यय से १८३२ में कलकत्ते से छपा है । वह ७१ अठपेजी पृष्ठों की बड़ी जिल्द है, जिसकी एक प्रति मेरे निजी संग्रह में है ।' कोलब्रुक ने अपने ‘Two treatises of the hindu Law of inheritance ( हिन्दू उत्तराधिकार नियम पर दो पुस्त) शीर्षक ग्रंथ में इस पुस्तक का अनुवाद किया है; कलकत्ता, १८१०, चौपेजी । १. 'अलिफ़लैला' के उर्दू अनुवाद.. २. गुलज़ार-इ नसीम. कथ एक हिन्दी लेखक हैं जिनकी ‘धनेश्वर चरित्र-छ बूर की कथा-नामक रचना कही जाती है, जिसे मध्घ कृत रचना भी कहा जाता है, जो सम्भवतएक ही व्यक्ति थे, जिनकी नाथ’ आदर सूचक उपाधि प्रतीत होती है 4 उनका उल्लेख ‘कवि चरित्र में हुआ है। नाथ भाई ३ तिलक चन्द एक समसामयिक हिन्दी लेखक हैं, जिन्होंने ‘पुष्टि मार्गनी वैष्णव आदिवल्लभ सम्प्रदाय के धार्मिक पद, प्रकाशित किए हैं : बम्बई१८६८४० अटपेजी पृष्ठ । १ इसके अनेक संस्करण है, जिनमें से एक आगरे का है । २ आ० अथवा, संस्कृत उज़्चारण के अनुसार भा'-—मालिक, स्वामी’ 3 भा० ‘स्वामी का भाई • है ।