पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२७८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

नानक [ १२६ नक सिक्ख, संप्रदाय के प्रसिद्ध संस्थापक, नानक शाह, उसके ‘आदि ग्रंथ' अर्थात् पहला ग्रंथ, नामक पूज्य ग्रंथ के रचयिता हैं । सम्भवत: यह वही है जो ‘पोथी गुरु नानक शाही’ ( गुरु नानक शाह की पोथी) के शीर्षक के अंतर्गत ईस्ट इंडिया झाउस में है, और जो प्रायः ग्रंथ१४ के अनिश्चित नाम से पुकारा जाता है, जैसे मुसल सानों का कुरान ‘मुशफ़' ( ग्रंथ ) के नाम से। यह ग्रंथ बताता है कि सर्वशक्तिमान और सर्बयापक ईश्वर केवल एक है, जो समस्त विश्व में व्याप्त और सब पदार्थों में विद्यमान हैऔर जिसकी पूजा तथा स्तुति अवश्य करनी चाहिए , फिर महशर का एक दिन १ भा० ‘एक से अधिक २ सामान्यतः लोग यह नहीं जानते कि ‘सिक्ख' शथ्द की व्युत्पति हिन्दुतानी है । वह (‘सीखना’ सामान्य क्रिया के आवाचक) ‘सोख' से है, शब्द जिसे नानक प्रायः अपने शिष्यों से कहा करते थे। । विलकिन्स, ‘पशियाटिक रिसर्च, जि० १, पृ० ३१७ । 3 आदि प्रन्थ । बॉर्ड ने अपनी हिस्ट्रएड्सीटेरा ऑव दि हिन्दूज़' ( हिन्दुओं का इतिहास आदि ), जि० ३, ७० ४६० तथा उसके बाद, मैं इस रचना से रोचक उद्धरण दिए हैं । मैंने अर्जुन पर लेख में नानक कृत 'आदि ग्रन्थ’ और नानक की एक कविता 'रत्नमाल' पर विस्तार से लिखा है। यह रचना, जिसमें आठ प्रार्थनाएँ हैं, स्वर्गीय ए० के० फोर्स द्वारा अँगरेजी में अनूदित हो चुकी है और ‘बॉम्बे नांवरॉयल एशियाटिक सोसायटी' के पत्र में प्रकाशित हो चुकी है, जिe t, २० तथा बाद के पृष्ठ । उसी जिल्द में, इस विषय पर ३० न्यूटन के विचार भी देखिएXI तथा बाद के पृष्ठ । ४ देखिए सी० स्टीवर्ट ( Stewart) का बिक्री का सूची पत्रनं० १०८ । वास्तबिंक ‘ग्रन्थ, अर्थात् नानक का ग्रन्थ, पंजाब को बोलो या पंजाब में, नानक द्वारा आविष्कृतफलतः गुरुमुखी’ ( गुरु के मुख से , अक्षरों में पबद्ध लिखा गया है। ये वही हैं जो अब भी इस बोलो में काम में लाए जाते हैं।