पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२७९

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१२४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास आएगा जब पुण्य का पुरस्कार और पाप का दण्ड मिलेगा। नानक ने उसमें न केवल सार्वभौम सहिष्णुता का आदेश दिया है, बरन एक दूसरे धर्मावलम्बी से विवाद करने की भी आशा नहीं दी। उन्होंने वधचोरी तथा अन्य दुष्कर्षों का भी निषेध किया है; उन्होंने समस्त सद्गुणों के अभ्यास, और विशेषतः प्राणिमात्र का उपकार, और अजनबियों तथा यात्रियों का आतिथ्य सत्कार करने की शिक्षा दी है ।' पेरिस के राजकीय पुस्तकालय में, हिन्दुस्तानी में, नानक का एक हस्तलिखित इंतहास जिसमें इस प्रसिद्ध सुधार के अनेकानेक वाक्य उस हैं, और ईस्ट इंडिया हाउस में ब्रजभाखा में लिखितनिर्मल ग्रन्थ’ ’ अर्थात् पाक पुस्तक, और ‘पोथी सरव गन' नामक दूसरी पुस्तक जिसमें नानक के सिद्धान्तों की व्याख्या है, सुरक्षित है । ईस्ट इंडिया हाउस में एक सिक्ख दर्शनपोथी नानक शाह, दर नज्म’ अर्थात् सिक्खदर्शन, नानक की पोथी, पद्य में, शीर्षक पोथी भी है । प्रत्यक्षतः यह वही रचना है जिसकी सिखाँइ बाबा नानक *, अर्थात् बाबा नानक के उपदेश, के नाम से एक प्रति, प में, मेरे पास है । इस हस्तलिखित १ विकिन्स, 'एशियाटिंक रिसर्चा', जि० १, अनुवाद का ० ३१७ ३ निर्मल ग्रन्थ । इस पुस्तक की एक प्रति मैकेन्जो संग्रह में है । श्री विल्सन ने अपने सूचीपत्र ( जि० २, ३० १०६ ) में कहा है कि इस प्रति में चार 'महल' ( mahai ) या व्याख्यान हैं जिनमें सिक् के धार्मिक सिद्धान्तों को, पंजाब की हिन्दू बोली में, व्याख्या हुई है। ईस्ट इंडिया हाउस वाली हस्तलिखित प्रति मैं केवल प्रथम महल' है, किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि गुरु साधो सिंह द्वारा प्रदत्त उसकी एक दूसरा पूर्ण प्रति हैं । 3 मैने यह शीर्षक पूर्वी अरों में लिखा हुआ नहीं देखा । मैं उसके वास्तविक हिज्जे और अर्थ नहीं जानता । ४ सिखनो बाबा नानक’ ( फ़ारसी लिपि से )