पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२८१

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१२६ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास हुई !’ उनके संप्रदाय के अनुयायी आज तक उनकी समाधि के धार्मिक भाव से दर्शन करने जाते हैं। श्री नाउ ले (Ouseley) ने अपने ‘ओरिएंटल कलेक्शन्स, जि० २, ७ ३६०, में नानक का चित्र दिया है, किन्तु उसकी रूपरेखा की प्रामाणिकता के सम्बन्ध में मैं कुछ नहीं जानता कलकत्ते से ४३ अठपेजी पुठों की, गुरु नानक स्तोत्रांग’ ( नानक की प्रशंसा ) शीर्षक ( रचना ) प्रकाशित हुई है इस प्रसिद्ध व्यक्ति के सम्बन्ध में मैंने ऊपर तथा ‘रुदीपाँ द ल लग फंदुई ( Rudinents de la langue hindouie ) की भूमिका में जो कुछ कहा है, उसके अतिरिक्त, ‘कधि चरित्र' के आधार पर, मैं यह और जोड़ देना चाहता हूं, कि नानक का जन्म पंजाब में १३५५ शक संवत् ( १४३३ ) में हुआ था और साधारणतः भारतवर्ष में यह विश्वास किया जाता है कि वे मका तक पहुंचेजहाँ वे बिना मुसलमान रूप धारण किए नहीं पहुँच सकते थे । कहा जाता है कि, वहाँ वे अंतर्द्धन हो गएऔर अमरत्व प्राप्त कर लिया ! इसके अतिरिक्त हिन्दू उन्हें एक पैगंबर के रूप में मानते हैं, किन्तु उनके बहुतसे अनुयायी उन्हें स्वयं ईश्वर मान कर उनकी पूजा करते हैं । ' । उनके पिता क्षत्रिय जाति के हिन्दू और बेहंदू ( Bendu ) नामक तहसील के निवासी थे । कहा जाता है, उनके गुरु एक . मुसलमान थे, जिनसे संभवत: उनके सिद्धान्तों को सर्कसंग्रहकारी प्रवृत्ति प्राप्त हुई । जे० डी० कनिंघम के हिस्ट्री ऑव दि सिक्स में सिक्खों का इतिहास ) ३७७ तथा बाद के , में नानक की धार्मिक कविताओं १ अन्य शतिहासकारों के अनुसार, १५३३ में, सत्तर वर्ष की अवस्था में । २ वे ‘अम्रकट' हो गए दिखई नहीं दिए' । 3 मौंटगोमरी मार्टिन, ‘ईस्टर्न इंडिया, जि० ३, पृ० १२