पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२८२

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नाभा जी [ १२७ के महत्वपूर्ण अंशों का अनुवाद पाया जाता है, जिनमें करी नामक एक काल्पनिक राजा को संबोधितऔर उसी राजा के लिखित एक उत्तर के रूप में, भसीहतनामा' शीर्षक एक पत्र का आंशिक अनुवाद है । नानक की कविताओं में विश्वास, दया और सत्कर्म का सिद्धान्त स्पष्ट रूप से प्रतिपादित किया गया है ।' नाभा जीर इस प्रसिद्ध हिन्दी लेखक का आविर्भाव अकबर के शासनकाल के अन्त में और उसके उत्तराधिकारी जहाँगीर के शासनकाल के प्रारम्भ में, अर्थात् १६ वीं शताब्दी के अंत और १७ वीं शता ब्दी के प्रारम्भ में हुआ। वे जाति के डोम' या डोमा थे जो टोकरियाँ बुनने का व्यवसाय तथा इसी प्रकार के अन्य कार्य करते हैं । कहा जाता है” वे अंधे उत्पन्न हुए थे, और जब वे केवल पाँच वर्ष के थे, उनके मातापिता, जब वे गरीबी के दिन बिता रहे थे, उन्हें एक जंगल में छोड़ आएजहाँ उनका अंत हो जाना निश्चित था। ऐसी अवस्था में ही वैष्णव सम्प्रदाय के उत्साही प्रचारक अदास झार कील ने उन्हें पाया। उन्हें अकेला पड़ा देख उन दोनों को दर्शा , और कोल ने अपने कमंडल’ का पानी उनकी आंखों पर छिड़काजिससे आंखें ठीक हो गईं । वे उन्हें अपने मठ में ले गए जहाँ वे अग्रदास द्वारा वैष्णव सम्प्रदाय में शिक्षित और दीक्षित १ 'हिस्ट्रा व दि सिक्ख्स, ० ४१, में इस सिद्धान्त का विचित्र विकास देखिए। २ नाभाईज 1 भादू नाभा' या 'न'आकाश; 'जा’ आदरसूचक शब्द द ‘ओमया ‘डोमरा' (फ़ारसी लिपि से) ४ एच० एच० विल्सन‘एशियाटिक रिसर्च, ज० १६, ७० ४७ ५ कमंडल, संस्कृत में कमंडलु, जलपात्र, मिट्टी या लकड़ी का बना हुआ, फकीरों द्वारा काम में लाया जाता है।