पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२८८

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नाम दे जो अभी थोड़ी देर पहले तक भा रही थी, और जिसके सत्र अंग अच्छे थे १ , इससे मेरा गौरव बढ़ायो-यदि तुम कहो कि इसके भाग्य में जीवन का सुख नहीं लिखा, तो ठीक है, इसके जीवन में मेरे जीवन का शेष भाग जोड़ दो। 'गाय उटी और अपने पैरों पर खड़ी हो गई । राजा अत्यन्त प्रसन्न हुया और उनसे कहा : 'यदि आप गाँव और भूमि चाहते हों। तो आप उन्हें ले सकते हैं, नाम देव ने यह अस्वीकार कर दिया, किंतु एक छोटी रनजटित से स्वीकार की । लेकिन उन्होंने उसे भीमड़ा' ( Bhimra ) नदी में फेंक दिया । यह जान कर राजा ने फिर नाम देव को बुला भेजा औौर कहा : ‘मेरी सेज मुझे दो । तब संत ने अनेक प्रकार की सेरों नदी से निकालीं औौर उन्हें किनारे पर डालते हुए कहा : इनमें से अपनी पहिचान कर ले लो ’ जत्र राजा ने यह देखा, तो संत के चरणों पर गिर पड़ा औौर कहा, मुझसे कोई चीज़ माँ गिए ।' नाम देव ने उत्तर दिया : ‘मैं जो तुमसे मांगता हूँ वह यह है कि मुझे फिर अपने पास मत बुलाना, औौर साधुत्रों को कभी दुश्ख मत देना । पंडरनाथ के मन्दिर में पद गाना उनका नित्य का क्रम था। एक दिन जब उन्हें देर हो गईतो उन्होंने अपने जूते उतारे, और इस भय से कि भीड़ में कोई उन्हें बुरा न ले, उन्हें अपनी कमर से बाँध लिया। वहाँ से ताल निकलते समयउनके जूते गिर पड़े । तव मन्दिर में काम करने वालों ने नाराज होकर उनके सिर पर पाँच सात चोटें कों जिस पर उलझे हुए बालों की जटाएँ थीं, और जिन्हें पकड़ कर उन्हें धक्का देकर बाह्नर निकाल दिया । नाम देश के मन में ज़रा भी क्रोध उत्पन्न न हुआा; किन्तु मन्दिर के पीछे चले गएजहाँ १ मेरे विचार से, यह वही है जिसे सामान्यतः ‘सोम' कहते हैं। २ एक प्रकार को करताल जिसे लकड़ी के बने डंडे से बजाया जाता हैं। देवता के आदर में बजाने के लिए नाम देख उसे ले गए थे।