पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२९३

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१३८] हिंदुई साहित्य का इतिहास of the Hindu Philosophical Systers' शीर्षक से मूल पाठ की व्याख्या करने वाले नोट्स सहित अनुवाद किया है या कहना चाहिए कि उसे संशोधनों सहित और उसमें से कुछ अंश निकाल कर उसे ज्यों का त्यों रख दिया है ।यह ग्रंथ, जो मूल रचयिता और अनुवादक तथा टीकाकार दोनों को ख्याति दिलाने वाला है, ८४ अठपेजी पलों में है कलकत्ता, १८६२९ २ इसी लेखक की ‘वेदान्त मत विचार और निष्ट मत का सार' शीर्षक दूसरी रचना है; मिर्जापुर, १८५४, ५६ अठखेजी पृष्ठ। नौनिंधराय हिन्दी के एक धार्मिक ग्रंथ के रचयिता हैंजिसका शीर्षक है । कथा सत नारायण सत नारायण ( विष्णु ) की कथा-—अर्थात मेरे विचार से, शरीर रूप में सच्चे ईश्वर की ( हमारे प्रभु ईसा मसीह ), १८६४ में मेरठ से प्रकाशित। पठन सुल्तान वाबू हरि चन्द्र द्वारा कवि वचन सुधा' के ८ वें अंक में उल्लि १ गलता से मुझे इस रचना में और बंगला में लिखित एक दूसरी रचना में भ्रम हो गया है, पहलो जिर, १० २३३, जहाँ से पहला पैराग्राफ़ निकाल देना चाहिए ! २ ओ बो० -हिलेअर ( B. Saint Hilaire ) ने इस रचना पर Journal des Savants ( जून दे सावाँ ), मार्च, १८६४ अंक, में एक लेख लिखा है। । 3 भा० इस शब्द का ठीक-ठीक उच्चारण है ‘नौनिध, और अर्थ है कुबेर के नौ कोष' । ४ मा० आ० पठान ‘अफ़गान’ का समानार्थवाधो रामद है। । ‘सुल्तान’ यहाँ बिना किसी विशेष अर्थ के साथारण चादरसूचक शब्द है, जैसा कि कुछ दिन पहले पेरिस आए हुए एक भारठोय के उदाहरण में पाया जाता है जिसका नाम नवाब सुलतान अली खाँ था ।