पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२९४

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पदम-भागवत F १३ ' वितबिहूरीि लाल की 'सतसईपर रचित एक ‘कुंडलिया के रचयिता हैं । पदम-भागवत भारतीय संगीत पर हिन्दी पुस्तक ‘क्मिणी मंगल' (प्रसन्नता ), अर्थात् रुक्मिणी का विवाह के रचयिता हैं; दिल्ली , १८६७ । नाकर देव ( कवि ) ग्वालियर के, लोकप्रिय गीतों ( कविताओं-अन्० ) के रच- यिता हिन्दू कवि हैं , जिन्होंने १८१८ से १८२० तक लिखा और जिनका एक कवित करीम ने उद्धत किया है । अन्य रचनाओं के अतिरिक्त उनकी ये रचनाएँ हैं : १. जगत बिनोद' या ‘जगत विनोद वाणी का आनन्द, वायू आविनाशी लाल और मुन्शी हरिवंश हाल के धन से १८६५ में बनारस से मुद्रित हिन्दीकाठ्य, २०२० पंक्तियों के १२६ अठपेजी पृष्ठ ; २. ‘गंगा लहरी '-गा की लहरेंसदा सुख लाल कृत गंगा की तहर’ शीर्षक रचना की भाँति : बनारस , १८६५, २०-२० पंक्तियों के ३६ अटपेजी पृष्ठ ; ३. ‘भगद्याभरण' -—गद्य का रत्त, अर्थात् अलंकारों की व्याख्या , बनारस, १८६६, ४४ आठपेजी पृष्ठ ; - ‘पद्माभरण—पों के रत्न, गोकुल चन्द द्वार प्रकाशित और उनसे सम्बन्धित लेख में उल्लिखित 15 - १ इस प्रकार का कविता के संबंध में, देखें, भूमिका, पृ० १२ ३ भा० ‘कमलों का देखता’ ( विष्णु ) 3 भ० कमल के तालाब का देवता'।

  • पहली (ज० का पु० ४६८, जहाँ मैंने इइ शीर्षक का अनुवाद कुछ भिन्न किया ।

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