पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२९७

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१४२ ! हिंदुई साहित्य का इतिहास के लगभग मध्य में शासन करने वाले राजा शूरसेन के राजत्व काल में ये प्रसिद्ध व्यक्ति जीवित थे । ब्रष्पय पीपा प्रताध जग बासना नाहर को उपदेश दियो। प्रथम भवानी भरा मुकि मांगन को घायो । सत्य कहो तिहि शक्ति सुदृढ़ हरि शरण बतायो । श्री रामानंद पद पाइ भये प्रति भक्ति की सींवा । गुण अशेख निरमोल संत धरि राखत ग्रीवा ॥ परस प्रनाली सरस भई सकल विश्व मंगल कियो । पीपा प्रताप जरा वासना नाहर को उपदेश दिया ॥ टीका पीपा गांगरनगढ़ के राजा एक रातजत्र वे सो रहे थे ; थे , तो एक त' आया और उनकी चारपाई उलट दी 1 पीना ने यह स्वप्न अशुभ समझा । वे उठे, और तुरन्त ही अपनी कुलदेवी का ध्यान किया । जब भवानी प्रकट हुई तो पीपा ने उनसे कहा : इस यंत्रणा हुँचाने वाले प्रेत से मेरी २क्षा कीजिए। भवानी ने उसर दियाः 'यह मृत विष्णु का मेजा हुआ है, मैं इसे नहीं भगा सकती ।’ राजा ने कहा ‘यदि आप मुझे इस प्रेत से नहीं छुड़। सकाँ तो यन से कैसे छुड़ाएँगीं? और यदि आप खयं मेरा नहीं कर सकती उद्धार , तो वह मार्ग बताइए जिसका अनुसरण करने से मैं अप ता उद्धार कर सकता हूं।' देवी ने उनसे कहा :रामानन्द को गुरु बना कर दरि-भभजन करो। दोहा राम के अतिरिक्त अन्य किसी की भक्ति करना बाँस के वन के १ फिर आने वाला, आत्मा, बुरी आत्मा २ भारतीय Pluton