पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३१२

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प्रिय-दास f १७ प्रियदस ' नित्यानंद के अनुयायी, बंगाल के निवासी, रचयिता हैं : १. बुन्देलखण्ड की बोली में एक भागवत के जिसका वॉर्ड ने उल्लेख किया है; २. कवित्त छन्द के पदों में ‘भक्तमाल'3 की एक टीका के जिसका शीर्षक है ‘भक्तिरस बोधिनी भक्ति के रस का ज्ञान कराने वाली । मेरे पास उसकी एक प्रति है जो मुझे दिल्ली के स्वर्गीय एफ़० बूट्रोस ( outros ) ने दी थी । इस हस्तलिखित पोथी में मूल तो वही है जो कृष्णदास ने प्रहण किया है, अर्थात् नाभा जी और नारायणदास का । प्रिय दास कृत टीका के साथ 'दृष्टांत’ और ‘भक्तमाल प्रसंगभी हैं। जिन हिन्दू संतों की जीवनी उन्होंने इस ग्रंथ में दी हैउनकी सूची इस प्रकार है : वाल्मीकि धना भगत सदना कसाई परीक्षित साधोदास लड्डु भक्त सुखदेव रघुनाथ गंजा माल (Ganji mila) अग्रदास हरि व्यास लशा भक्त (Lascha hakta) शंकर विट्टलनाथ नरसी भगत नाम देव गिरिधर मीराबाई जय देव विट्ठलदास पृथीराज श्रीधर स्वामी न रूप सनातन नर देव श्रिय , अच्छे लगने वालों का दास २ 'व्यू व दि हिस्ट्रो, एसीटा, ऑव दि हिन्दू', जि० २, ३० ४८१, - 3 एच० एच० विल्सनएशियाटिक रिसर्च’, जि०१६, ३० ५६में गो मरी मार्टिन, ‘ईस्टर्न डिया, जि० १, ६० २००