पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३१४

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फ़तह नरायन सिंह ( बाबू ) [ १५६ फतह नरायन सिंह ( बाबू ) संस्कृत में, हिन्दीटीका सहित‘बैद्यामृत—चिकित्सक का अमृत—के रचयिता हैं, बनारस१४२४ संवत् ( १८६७ ), ६१ अठपेजी पृष्ठ; तथा उन्होंने सिद्धान्त के आधार पर मेध माल’ बादलों की मालायामेघ की, अर्थात् मूल रचयिता, मुनि मेघ की - शीर्षक ज्योतिषसम्बन्धी हिन्दी रचना प्रकाशित की है, बनारस १६२३ ( १८६८, ५६ आठपेजी पृष्ठ । फन्दक (Phandak) सिक्त्रों में व्यवहृत पवित्र गीतों के रचयिता हैं । फ़रहत ( मुंशी शंकर दयाल ) एक अत्यन्त प्रसिद्ध समसामयिक हिन्दुस्तानी लेखक और लखनऊ में हुसैनाबाद के अमेरिकन मिशनरियों द्वारा संचालित स्कूल में प्रोफेसर हैं: वे रचयिता हैं : २. उर्दू प में प्रेम सागर’ के अनुवाद के, लखनऊ से नवल किशोर के बड़े छापेखाने से मुद्रित, प्रत्येक पर दो छंदों सहित ५६ बड़े अठपेजी पृष्ठ, अनेक सहित । चित्रों ३. तुलसी कृत रामायण' का उर्दू पद्यों में रूपान्तर, प्रत्येक पर दो छंदों की २५-२५ पंक्तियों सहित १६४ बड़े अठपेजी पृष्ठ, अनेक चित्रों से सुसज्जित, कानपुर, १८६६ । १ भा० ‘मटा २ नानक पर लेख देखिए