पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३१६

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बंसीधर ( पण्डित ) [ १६१ . किसान उपदेश, हिन्दी में, और वही रचना उर्दू में पंद नामा-इ काश्तकारान’ के समान शीर्षक के अंतर्गतएक सी रचनाएं हैं। पहली का रूपान्तर महाबल के तहसीलदार रोशनचली और मथुरा जिले में माठ के तहसीलदार मोतीलालद्वारा रचित दो संवादों के अनुकरण पर बंसीधर और श्री एच० एस० रीड ने किया है । इसमेंकिसानों के लिए बन्दोबस्त का प्रयोग और रूप तथा पटवारियों के सालाना खाते समझाए गए हैं : इलाहाबाद, १८६०, अठपेजी २० पृष्ठ । ५. शिक्षा पटवारिया का", उर्दू से हिन्दी में अनूदित ) आगरा , १८५५, चौपेजी ७७ पष्ठ । ६. छं दीपिका, हिन्दी छंदों पर पुस्तक के आगरा, १८४ अठपेजी ३४ ४०प्रथम संस्करण१००० प्रतियों का: तृतीय संस्करण, २००० प्रतियों का, इलाहाबाद, १८६०, अठपेजी ३६ पृष्ठ। ७. ‘माप प्रबंध' ( ‘खेल१ पर एक पुस्तक ), ‘मिस्बाह उल मसाहत’ शीर्षक उर्दू रचना, और साथ ही ‘रिसाला पैमाइश’ का हिन्दी में अनुवाद, आगरा१८५३अठपेजी ५३ पृष्ठ। ८, ‘जीविका परिपाटी'घरेलू अर्थशाख—श्री एच० एस० रीड की अध्यक्षता में उर्दू 'दस्तूरुल्माश’’ का हिन्दी में अनुवाद है । ( दस्तूरुलूमाश ) डबलिन्द्र के आर्च बिशपस्वर्गीय एस० ज० ल टी० रं० ड० लॉट्ले ( Whateley) कृत 'मनी मैटर' के आधार पर आगरे में सरकारी दुभाषिए और - अथवा 'खसरः' या 'बसराप मारतीय शब्द है जिसका ठोकठोक अर्थ रजिस्टर है जिसमें गाँवों के नाम, उनके साथ लगी हुई जमोनों और उनकी पैदा वार सहित, लिखे रहते हैं। २ आगरा गवर्नमैंट गजटपृ० ५३४। दस्तृफल्माश'आजोविका संबंधी नियम - के कई संस्करण हो चुके हैं। मेरे पास इलाहाबाद का संस्करण , १८६१, अठपेजी १०० । १० फा०-११