पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३१८

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बंसीधर ( पण्डित ) [ १६३ बंसीधर ने यह रचना मोहनलाल की सहकारिता में लिखी है । १३. मिस्बा’ या सिरातुल मसाहत दीपक य खेत नापने का दर्पणदो भागों में, ‘क्षेत्र चन्द्रिका’ या खेतों का दीपक, का उर्दू अनुवाद, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, जिनमें से एक लाहौर के कोह-इ-सूर’ छापेस्त्राने से निकलता है, और १८५३ से १८५४ तक आगरे , आदिजिनमें चिरंजीलाल का सहयोग है । १४‘तारीखहिन्द—हिन्द का इतिहास, उर्दू में आगरा स्कूल बुक सोसायटी के लिए ‘भारतर्ष का वृत्तान्त' या 'इतिहास' शीर्षक के अंतर्गत रेष० जेजे७ के० मूर की सहकारिता में पुनः प्रकाशित । दूसरा संस्करण कलकत्ते से निकला है, १८४६, ३१६ अठपेजी पृष्ठ एक आगरे का संस्करण भी है, १८५४, और दूसरा १८५६ छा, १२० अठपेजी पृष्ठों की १०००० प्रतिय छपीं। १५. बंसीधर ने उर्दूहिन्दी और गरेजी की शब्दावली ‘तसलीमुल्लुगत-तीन पूर्वापर संबद्ध विषय के संपादन में सहयोग दिया। १६देशी स्कूलों के विद्यार्थियों की परीक्षा के लिए उनके पाठ्य क्रम में निर्धारित उर्दूमें लिखित पुस्तकों पर १८५० में विशेष रूप से तैयार की गई २० पृष्ठ की पुस्तिका गंज-इ सवालात' सवालों का खजाना भी उनकी देन है । १७. ‘हकायक-इ मौजूदात’-उत्पन्न हुई चीजों की वास्तविकता -विज्ञानों का एक प्रकार का संक्षेप, श्री लाल कृत हिन्दी में बिद्यांकुर’ या विद्यांकुर'—विज्ञान की प्राथमिक बातें का उद्घ में अनुवादकई बार आगरे से मिर्जा निसार अली बेग के संरक्षण में छपा है । . १ संस्करणों के अनुसार शीर्षक मिन्न हैं । बहुत छोटे ६२ चौपेजो पृष्ठों की । - से -