पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३२१

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१६६ ! हिंदुई साहित्य का इतिहास ग्षक ( Logarichmes ) की एक तालिका सहित, हिन्दी से अनूदितजिसके कई संस्करण हो चुके हैं, जिनमें से एक आगरे का है, १८५४,२३६ बड़े अठपेजी पृष्ठ । २६. तहरीर- उलिदसवें--यूकलिद ( Euclide ) के मूल सिद्धांत, दो भागों में : कहा जाता है पहले की रचना बंसीधरने मोहनलाल की सहायता से की, इलाहाबाद, १८६०,१६० आठपेजी पृष्ठ, लघुगणक की एक तालिका सहित दूसरा मोहनलाल और बंसीधर के द्वारा साथसाथ रचितबही, १२२ पृष्ठ। ३०. ‘नतीजा तहरीर उकृतिदस'-यूकलिद के मूल सिद्धांतों का परिणाम, हिन्दी से अनूदित, अठखेजी तीन भागों में 1 प्रथम १०८ पृष्ठों का, दूसरा १५० पृष्ठों का, आगरा१८५४ और १८५६। इसके कई संस्करण हो चुके हैं। ३१. मिरातुस्सिक ( किताब ), लाभदायक उपदेशों की टंखला, कृष्णदत्त द्वारा हिन्दी में लिखित ‘सत निरूपण' का उर्दू में अनुवाद, दिल्ली, १८५६, द्वितीय संस्करण१२० आठपेजी पृष्ठ। ३२, ‘क्षेत्र चन्द्रिका, ‘मिस्बाह उलूमसाहत' का हिन्दी अनुवाद, दो भागों में, देशी स्कूलों के लिए स्वीकृत हिन्दी रचना । इसके कई संस्करण हो चुके हैं, जिनमें से चौथा, बनारस से, चौपेजी, १०,००० प्रतियाँ मुद्रित् ।’ ३३. बंसीधर ने प्रधानतः भरत खण्ड के भूगोल से सम्बन्धित हिन्दी रचना ‘भूगोल’२ या ‘भूगोल वर्णन’ की दो भागों में रचना की है, प्रथम भाग, ५५ अठपेर्जी पृष्ठ, आगरा१८६०, दूसरा भाग ११० अठपेजी पृष्ठ, आगरा१८६०) और मिर्जापुर१८५३१६४ आठपेजी पृष्ठ ! १ श्री लाल पर लेख देखिए । २ वासुदेव लेख में इसी शीर्षक की एक रचना देखिए!