पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३२७

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१७२] हिंदुई साहित्य का इतिहास संस्कृत शब्द सुरक्षित रखे गए हैं, ताकि बाद में मूल पाठ की संस्कृत समझने वाले भारतवासियों को सुविधा हो सके । उसकी रचना संस्कृत और हिन्दी में अत्यन्त प्रवीण स्वर्गीय डॉ. जेम्स बी० बैलेन्टाइन के संरक्षण में हुई है। २. विष्णु तरंग मल्लि-—विष्णु के आनंद के। यह ग्रंथ ग्रंथ कार के नाम वाले छापेखाने (बद्रीलाल प्रेस) बनारस से छपा है। ३. हिन्दुई में 'बालबोध व्याकरण ’—बच्चों के लिए व्याकरण के ( व्याकरण की भूमिका )मिर्जापुर । मेरे पास इस रचना का बहुत छोटा चौपेजो छब्बीस पृष्ठों का १८५८ में आग से छपा छठा संस्करण है । ४. लकड़ी पर खुदे नागरी अक्षरों में छपे ‘रॉबिन्सन ऋसो' के हिन्दी अनुवाद के ; बनारस१६०, १२पजी ४५६ पृष्ठ, ‘रॉबिन्सन सां का इतिहास' शीर्षक के अंतर्गत । उसका एक संस्करण फ़ारसी अक्षरों में है, बनारस, १८६२, ३३४ आठपेजी पृष्ठ; और एक रोमन अक्षरों में, १८२ अठपेजी पृष्ठ, १८६४ ! मेरा विचार है हिन्दी में रविन्सन का अनुवाद हो भी चुका है, और उसका एक अनुबाद निश्चित रूप से उर्दू और फ़ारसी अक्षरों में ‘रॉबिन्सन ब्स की जिंदगी का अहबाल’ शीर्षक के अंतर्गत मिर्जापुर में छपी है । ५. ( बँगला के माध्यम द्वारा ) ‘एक हजार एक रजनीका सदन रात्रि संक्षेपशीर्षक संक्षिप्त हिन्दी अनुवाद के, नाग5 अक्षरों में, २४ अठपेजी पृष्ठ, बनारस, १८६१ । । - १ जेनेरल कैलौग, कर (Zencer) द्वारा उल्लिखितBiblioth. orient जि० २