पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३२८

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बलदेव प्रसाद (लाला) [ १७३ ६. मिर्जापुर से देवनागरी अक्षरों में छपे भारत में स्त्री शिक्षा पर हिन्दी में एक व्याख्यान के क्या यह उनकी बनारस इंस्टीट्यूट के विवरण, १८६४-१८६५, पृष्ठ ८, में ‘ उल्लिखित सीता वनवास' शीर्षक रचना तो नहीं है ? बलदेवप्रसाद" ( लाला ) फ़ारसी से अनूदित एक हिन्दी ग्रंथ के रचयिता हैं और जो मुहम्मद वजीर खाँ के छापेखाने में आगरे से १४१ संवत् ( ११ ६३) में छपा है । यह देवनागरी अक्षरों में ४० पृष्ठों की एक आठपेजी पुस्तिका है, और अनेक चित्रों से सुसज्जित है । , बलभद्र' बलभद्र चिन्ती' ( Chinti ) बलभद्र की कथा के रच- यिता हैं, जिसका उल्लेख वॉर्ड ने हिन्दुओं के इतिहास, साहित्य और पौराणिक कथाओं के इतिहास’ पर अपने ग्रंथ में किया। है, किन्तु बिना कोई विस्तार दिए ! यह संभवत: कृष्ण के भाई बलदेव की कथा है । लेकिन मौंट्सरी मार्टिन, कृत ‘ईस्टर्न इंडिया' कहा गया है कि बलभद्र ‘जोतिष' ब्राह्मणों की में जाति के आादि पूर्वज हैं, और उन्होंने सँवारू भाषा में ज्योतिष पर विभिन्न रचनाओं का निर्माण किया है ' विश्वास किया जाता है कि उन्होंने राजा भोज को मिले महान् आधिकारों की. उनके जन्म से पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी। ' भा० ( देवता बल ) बलदेव का प्रसाद २ ‘श्रेष्६ बल 3 जि० २, ६० ४८० वे जि० २, ७ ४५४