पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३३१

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K १७६ । हिंदुई साहित्य का इतिहास नारायण और पण्डित शिव नारायण द्वारा मरेएनसाइक्लोपीडिया आंव ज्योग्राफी' (MarwayEncyclopedia of Geography) के आधार पर रचित की अपेक्षा लोग इसे पसंद करते हैं । उन्होंने भूगोल सार' शीर्षक के अंतर्गत एक अत्यन्त संचित भूगोल प्रकाशित किया है । बाल कृष्ण ( शास्त्री ) ने भूगोल विद्या' शीर्षक के अंतर्गत एक भूगोल सम्बन्धी र। का अँग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद किया है , जिसके प्रथम संस्करण का शीर्षक था 'भूगोल वृत्तांत ने १८६० में इलाहाबाद से छपा दूसरा संस्करण चित्रों सहित अठपेजी है और उसमें ४४ 2ठ हैं। " बाल गंगाधर ( शत्री ) १८१० में राजपूर में उत्पन्न हुए थे, १८२ में दिल्ली में प्रोफेसर हुएऔर १८४६ में बंबई में मृत्यु को प्राप्त हुए । वे हिन्दी, संस्कृत, फ़ारसी और अँगरेज़ी में प्रवीण थे 1 मराठी में उनकी अनेक रचनाएँ हैं, और उनकी अन्य रचनाएँ हिन्दी में हैं जिनमें से 'कवि चरित्र' में उल्लिखित प्रधान रचनाएँ ये हैं : १. ‘बाल व्याकरण' बच्चों के लिए व्याकरण के . २. ‘नीति कथा’ सदुपदेश की कथाएँ( हिन्दी भाषा में कथाएँ ), अठपेजी पुस्तिका के आगरा१८४६। यही रचना हिन्दुई में भी प्रकाशित हुई है, आठओजी पुस्तिका, कलकत्ता, १८४३। ३. सूर संग्रह-सूरदास की चुनी हुई कविताएँ ४ ‘ोल विद्या भूगोल संबंधी ज्ञान, भूगोल संबंधी कीथ ( Keith ) की रचनाओं से संग्रह । । १ भा० ‘चालक कृष्ण' २ आ० बालक शिव’