पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३३७

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१८९ ! हिंदुई साहित्य का इतिहास चावल मेजे। बिल्व मंगल ने ये चीजें चिंतामणि के सामने रख दीं, जिसे उन्होंने अपने यहाँ मेहमान बनकर ग्राई हुई एक अपरिचिता के रूप में माना । चिंतामणि ने कहा : 'तत्र मैंने अंपने कर्मों द्वारा क्या पुण्य कमाया जो हरि मुझे यहाँ लाए, और ख़ास अपने हाथों से मेरा मार्गप्रदर्शन किया, ताकि मैं इस स्थान पर पहुँच सकें ?' उन पास बिना किसी और के आए इस बातचीत में दिन व्यतीत हो गया । निल्व मंगल और चिंतामणि की ऐसी कथा है। विस्मिल ( ० मन्नूलाल) औरंगाबाद के कायस्थ, सैयद मुहम्मद अली नजीर के शिष्य, करीमजिन्होंने उनकी कविताओं में से एक बूंद उद्धृत किया है, द्वारा उल्लिखित, अर्दू-कवि और हिन्दी के लेखक दोनों हैं अंतिम रूप में ‘पद्म पुराणके ‘पाताल खण्ड ’ पर आधारित, राजा ईश्वरीप्रसाद नारायण सिंह के संरक्षण में उनके पुस्तकालय में सुरक्षित एक हस्खतिखित प्रति के आधार पर प्रकाशित‘रामाश्वमेध' उनकी देन है , बनारस१६२५ संवत् (१८६६), २५० चौपेजी पृष्ठ। बिस्वनाथ सिंह ( राजा ) लोकप्रचलित हिन्दीगीतों और कबीर की कवितात्रों पर टीकार के रचयिता हैं । बिहारी लाल कबीर के समकालीन बिहारी लाल हिन्दुई के एक अत्यन्त प्रसिद्ध लेखक हैं : अँगरेज़ उन्हें भारत का टॉमसन ( Thom pson ) पुकारते हैं । वे ‘सतसई' नामक काव्य के रचयिता हैं जो इतनी अधिक प्रसिद्धि प्राप्त कर चुकी है कि हिन्दू लोग अनवरत रूप में उसके अंश उद्धृत करते हैं और जो बनारस के राजा १ विश्व का मालिक ( विष्णु )