पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३४६

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बुन्द या वृन्द ( श्री कवि ) [ १४१ १६. ‘मालक की प्रशंसा; २०. ‘भनशा जन्म निस्तार’ ; २१, बारह आाझाएँ जिनका मैंने अनुवाद किया है ; २२. निंबनपर दोहे ; २३. अंत में बड़ा पदशीर्षक गीत। ये विभिन्न अंश अत्यन्त सरल हिन्दी में लिखे गए हैं । बन्द या दृन्द ( श्री कवि ) हिन्दी दोहों में ‘सत सती’ या ‘सतसई’ शीर्षक कहावतों के संग्रह के रचयिता हैं। यह रचना पहले रेवरेंड जे० के० मूर (locre ) द्वारा प्राचीन ग्रंथ के रूप में आगरे से मुद्रित हुई थी, उसके बाद संवत् १६११ ( १८५५ ई२ ) में बह बंबई से फिर मुद्रित हुई है, १०२ बारहपेजी पृष्ठ । बैजू बावरा' या बायु बाबरा ( नायक ) उत्तर भीरत के एक प्रसिद्ध संगीतज्ञ हैं, जो छः या सात सौ वर्ष पूर्व विद्यमान थे । उनका संगीतज्ञों और गवैयों में मास है, और उन्होंने लोकप्रिय गीत लिखे हैं । राग सागर ने और नेमचन्द ने, गुल ओो सनोवरभारत में मिलने वाले उसके संस्करण के ठ ७०, में, उनका उल्लेख किया है । बेनर्जी ( प० के० ए॰ ) ईसाइ हो गए हिन्दू, बिशप कॉलेजकलकत्ता में प्रोफेसर १ ‘राब हब’ २ यह शब्द, जो भारतीय है, फ़ारसो ‘सरदारकी तरह है और जिसका अर्थ 'नेता' है। अब उसका प्रयोग कॉरपोरलों के लिए होता है । 3 भा० इस और आगे के शब्द की उत्पत्ति वानर जो' से होनी चाहिए । अथवा ‘बानर' का अर्थ है बन्दर, अर्थात् ‘वानर हनुमान’, ‘जो एक आदरसूचक शब्द है।