पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३४७

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१२ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास हैं, जिनकी अँगरेजी में Dialogues of the Principal " Schools of hindu philosophy, embracing a fig :. statement of their prominent doctrirnes and a reft : tation of their errors, with extensive quotatiotहैं , of original passages never before printed or' translated' शीर्षक एक हिन्दी रचना है। यह रचना एफ़० ई. हॉल द्वारा हिन्दी से अँगरेजी में अ दित हुई है : मैंने २ दिसम्बर, १८६१ के हिन्दुस्तानी व्याख्यान माता के प्रारंभिक व्याख्यान में उसका उल्लेख किया है । बैनर्जी ( बा० प्यारे मोहन ) ने पण्डित ईश्वर चन्द्र ( विद्यासागर ) कृत 'उपक्रमणिका ’ शीर्षक संस्कृत व्याकरण का बँगला से हिन्दी में अनुवाद किया है, अठखेजी ३६ पृष्ठ, बनारस, १८६७ । वैनी धन सैयद हुसेन अली की देखरेख में आगरे से आज्ञात तिथि में नागरी अक्षरों में छपी अत्यन्त छोटे १२पेजी आठ पृष्ठों की एक ‘बारह मासी’ ?—बारह महीने कविता के रचयिता । बैन राम ( पंडित ) हिन्दी और उर्दू में चित्रों और जिले के एक नक्शे सहित, हिन्दी में ‘सागर का भूगोल’ के रचयिता हैं । सागर, १८५६छोटे चौपेजी ३० पृष्ठ । बोधले भाव ( Bodhalf Bhava ) एक हिन्दी कवि हैं, जो धामन ( Dharan ) में, जहाँ उनके - १ ‘नैनी माथन की बारहमासी'