पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३४८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

नजंबासीदास { १४ अब भी रहते हैं, शक संवत् १६०० ( १६७८ ई० ) में हुए और जिन्होंने धार्मिक कविताओं की रचना की है। और रच नाओं के अतिरिक्त उनकी देन हैं। : १. भक्ति विजय; २. ‘भक्त लीलामृत’ । ब्रजबासीदास ‘विलास, अथवा ब्रज के आनन्द, के रचयिता । यह व्रज और वृन्दावननिवास से लेकर मथुरा जाने और कंस की मृत्यु तक कृष्ण के जीवन और क्रीड़ाओं पर काफी विस्तृत काव्य रचना है । यह काव्य-रचना जो भाखा में लिखित है मैकेन्जी संग्रह के सूचीपत्र छपी हुई बताई गई है !’ हर हालत में, म उसका एक आगरे का लीथोफ़ संस्करण है, चित्रों सहित२१२ चौपेजी पृष्ठों में; और संवत् १६२३ ( १८६६ ई० ) में वह लखनऊ से फ़ारसी अक्षरों में प्रकाशित हुई है, ७७८ अठपेजी पृष्ठ वह बड़े अठपेजी ( साइ ) में संभवत: कलकत्ते से । प्रकाशित हुई ब्रह्मानंद’ ( स्वामी ) शिव लीलामृत’ के रचयिता हैं, जिसकी एक प्रति कलकते की एशियाटिक सोसायटी में है और जिसका विषय संभवतः धार्मिक है । भट्ट जीओ १८६४ में मेरठ से मुद्रित 'बैद दर्पण' ( Bed Darpan ) १ जि० २, ७० ११६। ‘शियाटिक रिसरीज़’ भो देखिएजि० १६७० १४ २ मा० ‘का आनंद’ ३ भा०भाटकवि -- -१३