पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३५२

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दू ति F १७ उसके द्वारा रचित एक छोटा अंश इस प्रकार है : ‘अली और राम ने हमें जीवन प्रदान किया है, औौर, इसलिए सब प्राणियों के प्रति समान रूप से दया प्रकट करना हमारा कर्तव्य है । किसके लिए हम अपना सिर मुड़ातेसाष्टांग करते, या जल मग्न होते हैं ? क्या तुम रक्त बेहा कर अपने को शुद्ध कर सकते हो, और क्या तुम्हें अपने पुण्यों का गर्व है जिनका तुम कभी दिखावा न करोगे ? किस लाभ के लिए अपना मुंह धोते हो, अपनी उंगलियों में माला के दाने फेरते हो, स्नान करते हो, और मन्दिर में सिर नवाते हो, जब कि प्रार्थना करते समयतुम चाहे मक्के की ओर जान या मीने की मोर, कपष्ट तुम्हारे हृदय में है १ हिन्दू एकादशी का व्रत रखते हैं : मुसलमान रमज़ान में..सुष्टिकत जो समस्त विश्व में व्याप्त है मन्दिरों में रह सकता है ? मूर्तियों में राम के दर्शन किसे हुए हैं ! किसने उसे समाधियों में पाया है जिंनके दर्शन करने यात्री आते हैं ? जो वेद और क्षेत्र (Feb ) की असत्यता की बात कहते हैं वे उनका सार नहीं समझते 1 केवल एक को सत्र में देखो...समस्त पुरुष और स्त्री जिन्होंने जन्म धारण किया है, उसी प्रकृति से उसन्न हुए हैं जिससे तुम । जिसकी सुष्टि है और जिसके अली और राम पुत्र हैं, वह मेरा गुरु है, वह मेरा पीर है।’’ धू पति कायस्थ जाति के भूपति या भूदेव हिन्दी पत्र में ‘श्री भागवत नामक एक भागवत के रचयिता हैं। उसकी एक प्रति कलकत्ले की १ अली मुसलमानों के पैगम्बर हैं, राम हिन्दुओं के प्रिय देवता हैं। गुरुबाद वालों का आध्यात्मिक पथप्रदर्शक है; ‘पोर’ पहलों का। इस व्याख्या से, पाठ का बाक्य बहुत स्पष्ट हो जाता है। इसके अतिरिक यह शात है कि कबीर, और नानक का भी, उद्देश्य मुसलमान और ब्राह्मण धर्मों का सम्मिश्रण करना रहा है।