पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३५३

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१६८] हिंदुई साहित्य का इतिहास एशियाटिक सोसायटी के पुस्तकालय में है, और वॉर्ड ने इस प्रन्थ का उल्लेख अपने ‘हिस्ट्री ऑॉव दि लिट्रेचर ऐंड दि माइथॉलोजी व दि हिन्दूज( हिन्दुओं के साहित्य और पुराणकथाओं का इतिहास ) में किया है । मैं नहीं कह सकता कि यह वही रचना है। जिसकी एक प्रति ब्रिटिश म्यूजियम में संख्या ५६२०, हलहेडHa hed) संग्रह के अंतर्गत मिलती है । इस पिछली की रचना नौ पंक्तियों के बंदों में हुई है, वह फ़ारसी लिपि में लिखी हुई है और जिस हिन्दुई बोगी का इसमें प्रयोग हुआ है वह कठिनाई से समझी जाती है। हिन्दी बंदों में ‘पोथी भागवत ’ के नाम से एक भागवत ईस्ट इंडिया हाउस (ऑफिसऔर केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के किंग्स कॉलेज के पुस्तकालय में भी है, किन्तु सूचीपन के अनुसार वह भागवत पुराणका संस्कृत से अनूदित केवल एक भाग है । इसमें दशम अध्याय, दशम स्कंधका, जिसमें कृष्ण की कथा है और जिससे ‘प्रेमसागर' की सामग्री भी ली गई है, विशेष रूप से हिन्दुस्तान में अनुवाद हुआ है । इसकी एक और प्रति का उल्लेख फ़रफंद खुली नामक व्यक्ति के सुन्दर पुस्तकालय के सूचीपत्र में मिलता है। यह सूचीपन मेरे माननीय मित्र एमू डी० फ़ोर्बस(M. LD.Forbes) के पास और एक दूसरा फोर्ट विलियम कॉलेज के पुस्तकालय में है। इस प्रति का नाम ‘पोथी दशम स्कंधहै । उसी पुस्तकालय में ‘श्री भागवत दशम स्कंध’ के नाम से एक तीसरी प्रति है और इसी शीर्षक के अंतर्गत भाषा में ईस्ट इंडिया हाउस के पुस्तकालय में एक चौथी प्रति .है । चैम्बर्स के संग्रह ( सूचीपत्र का प्र० १८, सं० ७६ ) में भी एक अलगअलग काग़ज़ के पत्रों पर लिखी फोलिओ में, 'भाषा दशम स्कंधशीर्षक प्रति मिलती है । उन्हीं फरजाद के हस्तलिखित १ मागवत १८ वां या अंतिम पुराण है ; किन्तु कुछ हिन्दुओं द्वारा यह प्रामाणिक समझा जाता है ।